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________________ महावीर-वाणी भाग : 1 तो महावीर यह नहीं कह सकते कि श्रेष्ठजनों के प्रति आदर, क्योंकि वह होता ही है। उसका कोई मूल्य ही नहीं। बिना किसी भेदभाव के आदर, तब विनय पैदा होती है। श्रेष्ठ का सवाल नहीं है-जीवन के प्रति आदर, अस्तित्व के प्रति आदर, जो है उसके प्रति आदर / वह है, यही क्या कम है! एक पत्थर है, एक फल है, एक सरज है, एक आदमी है, एक चोर है, एक साध है, एक बेईमान है-ये हैं। होना ही पर्याप्त है। और इनके प्रति जो आदर है, अगर यह आदर सम्भव हो जाए तो आपका अंतर-तप है। तब यह गण आपका है। तब आप परिवर्तित होते हैं। फिर दूसरी बात यह कैसे तय करेंगे कि कौन श्रेष्ठ है। अगर यह जो शास्त्र कहते हैं- श्रेष्ठ, महाजन, गुरुजन कैसे श्रेष्ठ कहेंगे? कौन है गुरु? कौन है गुरु? क्या है उपाय जांचने का आपके पास? कैसे तौलिएगा? क्योंकि अनेक लोग महावीर के पास आकर लौट जाते हैं और कह जाते हैं कि ये गरु नहीं हैं। अनेक लोग क्राइस्ट को सूली पर लटका देते हैं यह मानकर कि आवारा, लफंगा है। इसको हटाना दुनिया से जरूरी है, नुकसान पहुंचा रहा है। ___ और ध्यान रहे, जिन लोगों ने जीसस को सूली दी थी वे उस समय के भले और श्रेष्ठजन थे-अच्छे लोग थे, न्यायाधीश थे, धर्मगुरु थे, धनपति थे, राजनेता थे। उस समय के जो भले लोग थे उन्होंने ही जीसस को सूली दी थी। और उनकी सूली देना, देने में अगर वे ठीक ही मालम पडते हैं. क्योंकि जीसस वेश्याओं के घर में ठहर गए थे। अब जो आदमी वेश्याओं के घर में ठहर गया हो वह आदमी श्रेष्ठ कैसे हो सकता है। क्योंकि जीसस शराबघरों में बैठकर शराबियों से दोस्ती कर लेते थे और जो शराबघरों में बैठता हो, उसका क्या भरोसा? क्योंकि जीसस उन लोगों के घरों में ठहर जाते थे जो बदनाम थे; तो बदनाम आदमियों से जिसकी दोस्ती हो, वह आदमी तो अपने संग-साथ से पहचाना जाता है। जो अंत्यज थे, समाज से बाह्य कर दिए गए थे, उनके बीच भी जीसस की मैत्री थी, निकटता थी। तो यह आदमी भला कैसे था? फिर यह आदमी आती हुई परंपरा का विरोध करता था, मंदिर के पुरोहितों का विरोध करता था। यह कहता था कि जो साधु दिखाई पड़ रहे हैं, ये साधु नहीं हैं। तो यह आदमी भला कैसे था? तो उस समाज के भले लोगों ने इस आदमी को सूली पर लटका दिया, और आज हम जानते हैं कि बात कुछ गड़बड़ हो गयी। सुकरात को जिन लोगों ने जहर दिया था वे समाज के श्रेष्ठजन थे। कोई बुरे लोगों ने जहर नहीं दिया था। अच्छे लोगों ने जहर दिया था। और इसीलिए दिया था कि सुकरात की मौजूदगी समाज की नैतिकता को नष्ट करने का कारण बन सकती है। क्योंकि सुकरात संदेह पैदा कर रहा था। तो जो भले जन थे वे चिंतित हुए। वे चिंतित हुए कि इससे कहीं नयी पीढ़ी नष्ट न हो जाए। तो सुकरात को जहर देने के पहले उन्होंने एक विकल्प दिया था कि सुकरात अगर तुम एथेंस छोड़कर चले जाओ और व्रत लो कि अब दुबारा एथेंस में प्रवेश नहीं करोगे तो हम तुम्हें मुक्त छोड़ दे सकते हैं। लेकिन हम तुम्हें एथेंस के समाज को नष्ट नहीं करने देंगे। या तुम यह वायदा करो कि तुम अब एथेंस में शिक्षा नहीं दोगे, तो हम तुम्हें एथेंस में ही रहने देंगे। लेकिन तुम अब जबान बंद रखोगे क्योंकि तुम्हारे शब्द नयी पीढ़ी को नष्ट कर रहे हैं। जो लोग थे, वे भले थे। स्वभावतः वे नयी पीढ़ी के लिए चिंतित थे। सब भले लोग नयी पीढ़ी के लिए चिंतित होते हैं। और उनकी चिंता से नयी पीढ़ी रुकती नहीं, बिगड़ती ही चली जाती है। ___ धनी कौन है, श्रेष्ठ कौन है? धन है जिसके पास वह? पांडित्य है जिसके पास वह? यश है जिसके पास वह? तो फिर यश जिस रास्तों न रास्तों को देखें तो पता चलेगा. यश बहत अश्रेष्ठ रास्तों से उपलब्ध होता है। लेकिन सफलता सभी अश्रेष्ठताओं को पोंछ डालती है। धन कोई साधु मार्गों से उपलब्ध नहीं होता है। लेकिन उपलब्धि पुराने इतिहास को नया रंग दे देती है। कौन है श्रेष्ठ? समाज उसे श्रेष्ठ कहता है जो समाज के रीति, नियम मानता है। लेकिन इस जगत में जिन लोगों को हम पीछे श्रेष्ठ कहते हैं वे वे ही लोग हैं जो समाज के रीति नियम तोड़ते हैं। बुद्ध आज श्रेष्ठ हैं, महावीर आज श्रेष्ठ हैं, नानक आज श्रेष्ठ हैं, कबीर आज श्रेष्ठ हैं। 278 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340015
Book TitleMahavir Vani Lecture 15 Vinay Parinati Nirahankarita ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size83 MB
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