________________ महावीर-वाणी भाग : 1 सिर्फ इसीलिए था ताकि इस बीच, इसी क्षण आत्मा को पता चल जाए कि शरीर नष्ट हो गया, मैं मर गया हूं। क्योंकि जब तक यह अनुभव में न आए कि मैं मर गया हूं, तब तक नए जीवन की खोज शुरू नहीं होती। मर गया हूं, तो नए जीवन की खोज पर आत्मा निकल जाती है। ___ यह जो एक्युपंक्चर ने सात सौ बिन्दु कहे हैं शरीर में - रूस के एक वैज्ञानिक एडामैंको ने अभी एक मशीन बनायी है उस मशीन के भीतर आपको खड़ा कर देते हैं। उस मशीन के चारों तरफ बल्ब लगे होते हैं, हजारों बल्ब लगे होते हैं। आपको मशीन के भीतर खड़ा कर देते हैं। जहां-जहां से आपका प्राण शरीर बह रहा है, वहां-वहां का बल्ब जल जाता है बाहर / सात सौ बल्ब जल जाते हैं हजारों बल्बों में, मशीन के बाहर। वह मशीन, आपकी प्राण ऊर्जा जहां-जहां संवेदनशील है, वहां-वहां बल्ब को जला देती है। तो अब एडामैंको की मशीन से प्रत्येक व्यक्ति के संवेदनशील बिन्दुओं का पता चल सकता है। लेकिन योग ने सात सौ की बात नहीं की, सात चक्रों की बात की है। सात सौ बिन्दुओं की! योग की पकड़ एक्युपंक्चर से ज्यादा गहरी है। क्योंकि योग ने अनुभव किया है कि एक-एक बिन्दु...बिन्दु परिधि पर है, केन्द्र नहीं है। सौ बिन्दुओं का एक केन्द्र है। सौ बिन्दु एक चक्र के आसपास निर्मित हैं। फिक्र छोड़ दी, परिधि की। उस केन्द्र को ही स्पर्श कर लिया जाए, ये सौ बिन्दु स्पर्शित हो जाते हैं। इसलिए सात चक्रों की बात की - प्रत्येक चक्र के आसपास सौ बिन्दु निर्मित होते हैं इस शरीर को छूनेवाले। इसलिए आपके शरीर का...समझ लें उदाहरण के लिए, और आसान होगा, क्योंकि हमारे अनुभव की बात होती है तो आसान हो जाती है...सैक्स का एक सेंटर है आपके पास, यौन का चक्र। लेकिन उस यौन चक्र के सौ बिन्दु हैं आपके शरीर में। जहां-जहां यौन चक्र का बिन्दु है, वहां-वहां इरोटिक जोन हो जाते हैं। जैसे आपको कभी खयाल में भी न होगा कि जब आप किसी के साथ यौन संबंध में रत होते हैं तो आप शरीर के किन्हीं-किन्हीं अंगों को विशेष रूप से छूने लगते हैं। वह इरोटिक जोन है। वह काम के बिन्दु हैं शरीर पर फैले हुए। और कई बिन्दु तो ऐसे हैं कि आपको पता नहीं होगा क्योंकि आपके खयाल में नहीं आएंगे। लेकिन अलग-अलग संस्कृतियों ने अलग-अलग बिन्दुओं का पता लगा लिया है। अब तो वैज्ञानिकों ने सारे इरोटिक प्वाइंट्स खोज लिए हैं, शरीर में कहां-कहां हैं। जैसे आपको खयाल में नहीं होगा, आपके कान के नीचे की जो लम्बाई है, वह इरोटिक है। वह बहुत संवेदनशील है। स्तन जितने संवेदनशील हैं, उतना ही संवेदनशील आपके कान का हिस्सा है। __ आपने कानफटे साधुओं को देखा होगा। कानफटे साधुओं की बात सुनी होगी, लेकिन कभी खयाल में न आया होगा कि कान फाड़ने से क्या मतलब हो सकता है? कान फाड़कर वे यौन के बिन्दु को प्रभावित करने की कोशिश में लगे हैं। वह सेंसिटिव है स्पाट, वह जगह बहुत संवेदनशील है। आपने कभी खयाल न किया होगा कि महावीर के कान का नीचे का लम्बा हिस्सा कंधे को छता हिस्सा इतना लम्बा हो। लेकिन कान का हिस्सा इतना लम्बा हो, उसका अर्थ ही केवल इतना होता है-वह हो या न हो-लम्बे हिस्से का प्रतीक सिर्फ इसलिए है कि इस व्यक्ति की काम ऊर्जा बहुत होगी, सेक्स इनर्जी इस व्यक्ति में बहुत होगी। और यही ऊर्जा रूपांतरित होनेवाली है, कुंडलिनी बनेगी। यही ऊर्जा रूपांतरित होगी, ऊपर जाएगी और तप बनेगी। वह कान की लम्बाई सिर्फ प्रतीक है, वह इरोटिक जोन है। वहां से आपके काम की संवेदनशीलता पता चलती है। आपके शरीर पर बहुत से बिन्दु हैं जो काम के लिए संवेदनशील हैं। हर चक्र के आसपास सौ बिन्दु हैं शरीर में। आपके शरीर में ऐसे बिन्दु हैं जिनके स्पर्श से, जिनके स्पर्श से, जिनकी मसाज से आपकी बुद्धि को प्रभावित किया जा सकता है। क्योंकि वे आपके बुद्धि के बिन्दु हैं। आपके शरीर में ऐसे बिन्दु हैं जिनसे आपके दूसरे चक्रों को प्रभावित किया जा सकता है। समस्त 160 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org