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________________ महावीर-वाणी भाग : 1 लेकिन आमतौर से जिन्हें हम तपस्वी समझते हैं, वे, वे लोग हैं जो इस भौतिक शरीर को ही सताने में लगे रहते हैं। इससे कुछ लेना-देना नहीं है। असली काम इस शरीर के भीतर जो दूसरा छिपा हुआ शरीर है - ऊर्जा-शरीर, इनर्जी-बाडी - उस पर काम का है। और योग ने जिन चक्रों की बात की है, वे इस शरीर में कहीं भी नहीं हैं, वे उस ऊर्जा शरीर में हैं। __इसलिए वैज्ञानिक जब इस शरीर को काटते हैं, फिजियोलाजिस्ट, तो वे कहते हैं - तुम्हारे चक्र कहीं मिलते नहीं। कहां है अनाहत, कहां है स्वाधिष्ठान, कहां है मणिपुर - कहीं कुछ नहीं मिलता। पूरे शरीर को काटकर देख डालते हैं, वह चक्र कहीं मिलते नहीं। वे मिलेंगे भी नहीं। वे उस ऊर्जा-शरीर के बिंदु हैं। यद्यपि उन ऊर्जा-शरीर के बिन्दुओं को करस्पांड करने वाले, उनके ठीक समतल इस शरीर में स्थान हैं - लेकिन वे चक्र नहीं हैं। __ जैसे, जब आप प्रेम से भरते हैं तो हृदय पर हाथ रख लेते हैं। जहां आप हाथ रखे हुए हैं, अगर वैज्ञानिक जांच-पड़ताल, काट-पीट करेगा तो सिवाय फेफड़े के कुछ नहीं है। हवा को पंप करने का इन्तजाम भर है वहां, और कुछ भी नहीं है। उसी से धड़कन चल रही है। पम्पिंग सिस्टम है। इसको बदला जा सकता है। अब तो बदला जा सकता है और इसकी जगह पूरा प्लास्टिक का फेफड़ा रखा जा सकता है। वह भी इतना ही काम करता है, बल्कि वैज्ञानिक कहते हैं, जल्दी ही इससे बेहतर काम करेगा। क्योंकि न वह सड़ सकेगा, न गल सकेगा, कुछ भी नहीं। लेकिन एक मजे की बात है कि प्लास्टिक के फेफड़े में भी हार्ट अटेक होंगे, यह बहुत मजे की बात है। प्लास्टिक के फेफड़े में हार्ट अटैक नहीं होने चाहिए, क्योंकि प्लास्टिक और हार्ट अटैक का क्या संबंध है! निश्चित ही हार्ट अटैक कहीं और गहरे से आता होगा. नहीं तो प्लास्टिक के फेफड़े में हार्ट अटैक नहीं हो सकता। प्लास्टिक का फेफडा टूट जाए, फूट जाए, लेकिन... चोट खा जाए, यह सब हो सकता है - लेकिन एक प्रेमी मर जाए और हार्ट अटैक हो जाए, यह नहीं हो सकता क्योंकि प्लास्टिक के फेफड़े को क्या पता चलेगा कि प्रेमी मर गया है। या मर भी जाए तो प्लास्टिक पर उसका क्या परिणाम हो सकता है? कोई भी परिणाम नहीं हो सकता है। अभी भी जो फेफड़ा आपका धड़क रहा है उस पर कोई परि उसके पीछे एक दूसरे शरीर में जो हृदय का चक्र है, उस पर परिणाम होता है। लेकिन उसका परिणाम तत्काल इस शरीर पर मिरर होता है, दर्पण की तरह दिखाई पड़ता है। ___ योगी बहुत दिनों से हृदय की धड़कन को बन्द करने में समर्थ रहे हैं, फिर भी मर नहीं जाते। क्योंकि जीवन का स्रोत कहीं गहरे में है। इसलिए हृदय की धडकन भी बन्द हो जाती है, तो भी जीवन धडकता रहता है। हालांकि पकडा नहीं जा सकता। फिर कोई यंत्र नहीं पकड़ पाते कि जीवन कहां धड़क रहा है। यह शरीर जो हमारा है, सिर्फ उपकरण है। इस शरीर के भीतर छिपा हुआ और इस शरीर के बाहर भी चारों तरफ इसे घेरे हुए जो आभामंडल है, वह हमारा वास्तविक शरीर है। वही हमारा तप-शरीर है। उस पर जो केन्द्र है उन पर ही काम तप का, सारी की सारी पद्धति, टैक्नोलाजी, तकनीक उन शरीर के बिंदुओं पर काम करने की है। ___ मैंने आपसे पीछे कहा कि चाइनीज एक्युपंक्चर की विधि मानती है कि शरीर में कोई सात सौ बिन्दु हैं, जहां वह ऊर्जा-शरीर इस शरीर को स्पर्श कर रहा है - सात सौ बिन्दु। आपने कभी खयाल न किया होगा, लेकिन खयाल करना मजेदार होगा। कभी बैठ जाएं उघाड़े होकर और किसी को कहें कि आपकी पीठ में पीछे कई जगह सुई चुभाएं। आप बहुत चकित होंगे, कुछ जगह वह सुई चुभायी जाएगी, आपको पता नहीं चलेगा। आपकी पीठ पर ब्लाइंड स्पाट्स हैं, जहां सुई चुभाई जाएगी, आपको पता नहीं चलेगा। और आपकी पीठ पर सेंसिटिव स्पाट हैं, जहां सुई जरा-सी चुभायी जाएगी और आपको पता चलेगा। एक्युपंक्चर पांच हजार साल पुरानी चिकित्सा विधि है। वह कहती है - जिन बिन्दुओं पर सुई चुभाने से पता नहीं चलता, वहां आपका ऊर्जा-शरीर स्पर्श नहीं कर रहा है। वह डैड स्पाट है, वहां से आपका जो भीतर का तपस-शरीर है वह स्पर्श नहीं कर रहा है, इसलिए वहां पता कैसे चलेगा! 158 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340009
Book TitleMahavir Vani Lecture 09 Tap Urja Sharir ka Anubhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size71 MB
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