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________________ तप : ऊर्जा का दिशा-परिवर्तन ही इसीलिए है। ___ एक मित्र की पत्नी मुझे कहती थी कि मेरा पति से कोई भी प्रेम नहीं रह गया, लेकिन कलह जारी है। मैंने कहा, अगर प्रेम बिलकुल न रह गया हो, तो कलह जारी नहीं रह सकती। कलह के लिए भी प्रेम चाहिए। थोड़ा-बहुत होगा। मैंने उससे कहा कि थोड़ा-बहुत जरूर होगा। और कलह अगर बहुत चल रही है तो बहुत ज्यादा होगा। उसने कहा, आप कैसी उल्टी बातें करते हैं? मैं डाइवोर्स के लिए सोचती हं, कि तलाक दे दूं। मैंने कहा, हम तलाक उसी को देने के लिए सोचते हैं, जिससे हमारा कुछ बंधन होता है। जिससे बंधन ही नहीं होता उसको तलाक भी क्या देंगे। बात ही खत्म हो जाती है, तलाक हो जाता है। यह दो वर्ष पहले की बात है। ___ फिर अभी एक दिन मैंने उससे पूछा कि क्या खबर है? उसने कहा, आप शायद ठीक कहते थे। अब तो कलह भी नहीं होती। आप शायद ठीक कहते थे, उस वक्त मेरी समझ में नहीं आया। अब तो कलह भी नहीं होती। तलाक के बाबत क्या खयाल है? उसने कहा, क्या लेना, क्या देना। बात ही शान्त हो गयी। दोनों के बीच संबंध ही नहीं रह गया। संबंध हो तो तोड़ा जा सकता है। संबंध ही न रह जाए तो क्या तोडिएगा? अगर आप किसी वासना से लड़ रहे हैं तो आपका उस वासना में रस अभी कायम है। जिन्दगी ऐसी उलझी हुई है। ___ इसलिये फ्रायड ने तो जीवनभर के पचास साल के अनुभव के बाद कहा और शायद यह आदमी अकेला था पृथ्वी पर जो मनुष्यों इस भांति गहरा उतरा - इस आदमी ने कहा कि जहां तक प्रेम है वहां तक कलह जारी रहेगी। अगर कलह से मुक्त होना है तो प्रेम से मुक्त होना पड़ेगा। अगर पति पत्नी में प्रेम है, तो प्रेम का तो हमें पता नहीं चलता क्योंकि प्रेम उनका एकांत में प्रगट होता होगा। लेकिन कलह का हमें पता चलता है क्योंकि कलह तो प्रगट में भी प्रगट हो जाती है। अब कलह के लिए एकांत तो नहीं खोजा जा सकता। कलह ऐसी चीज भी नहीं है कि उसके लिए कोई एकांत का कष्ट उठाए। पर फ्रायड कहता है कि अगर प्रगट में कलह जारी है तो हम मान सकते हैं, अप्रगट में प्रेम जारी होगा। दिन में जो पति-पत्नी लड़े हैं, रात वे प्रेम में पड़ेंगे। पूर्ति करनी पड़ती है, बैलेंस करना पड़ता है, सन्तुलन करना पड़ता है। __ जिस दिन लड़ाई होती है उस दिन घर में कोई भेंट भी लाई जाती है। अगर पति लड़कर बाजार गया है तो लौटकर कुछ पत्नी के लिए लेकर आएगा। अगर पति घर की तरफ फूल लिए आता हो तो यह मत समझ लेना कि पत्नी का जन्मदिन है। समझना कि आज सुबह उपद्रव ज्यादा हुआ है। यह बैलेंसिंग है, अब वह उसको सन्तुलन करेगा। इसलिये फ्रायड तो कहता है कि मैं कामवासना को एक कलह मानता है। इसलिए फ्रायड सैक्स और वार को जोड़ता है। वह कहता है. यद्ध और काम एक ही चीज के रूप हैं और जब तक मन में कामवासना है, तब तक युद्ध की वृत्ति समाप्त नहीं हो सकती। यह इनसाइट गहरी है, यह अन्तर्दृष्टि गहरी है। और इस अन्तर्दृष्टि को अगर हम समझें तो महावीर को समझना बहुत आसान हो जाएगा। ___ महावीर कहते कि अगर जो बुरा है, तथाकथित बुरा मालूम पड़ता है; उससे छूटना है, तो जो तथाकथित भला है उससे भी छूट जाना पड़ेगा। अगर घृणा से मुक्त होना है तो राग से भी मुक्त हो जाना पड़ेगा। अगर शत्रु से बचना है तो मित्र से भी बच जाना पड़ेगा। अगर अंधेरे में जाने की आकांक्षा नहीं है तो प्रकाश को भी नमस्कार कर लेना पड़ेगा। यह उल्टा दिखाई पड़ता है, यह उल्टा नहीं है। क्योंकि जिसके मन में प्रकाश में जाने की आकांक्षा है, वह बार-बार अंधेरे में गिरता रहेगा। जीवन द्वंद्व है, और जीवन के सब रूप अपने विपरीत से बंधे हुए हैं, अपने से उल्टे से बंधे हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि जो व्यक्ति जिस चीज से लड़ेगा, विपरीत चलेगा, उससे ही बंधा रहेगा। उससे वह कभी नहीं छट सकता। अगर आप धन से लड़ रहे हैं और धन के विपरीत जा रहे हैं, तो धन आपके 137 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340008
Book TitleMahavir Vani Lecture 08 Tap Urja ka Disha Parivartan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size77 MB
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