________________ तप : ऊर्जा का दिशा-परिवर्तन केंद्रित रहता है, शक्ति वहीं से विसर्जित होती है, इवापरेट होती है, वाष्पीभूत होती है। तप ध्यान के केन्द्र बदलने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया पर कल मैं बात करूंगा। शायद लम्बी इस पर बात करनी पड़े क्योंकि महावीर ने फिर तप के बारह हिस्से किए हैं. और एक-एक हिस्सा वैज्ञानिक प्रक्रिया है। तो कल वैज्ञानिक प्रक्रिया को हम समझ लें, फिर महावीर के एक-एक तप के हिस्से पर हम बात करेंगे। अभी जाएंगे नहीं-हालांकि मन की कमजोरी कह रही होगी कि भागो। तो थोड़ा रुकेंगे। जो कीर्तन संन्यासी करते हैं, उतना धैर्य और। 147 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org