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________________ महावीर-वाणी भाग : 1 उसने एक अदभुत बाक्स, एक पेटी बनायी, जिसको वह आर्गान बाक्स कहता था। वह कहता था - इसके भीतर कोई व्यक्ति लेट जाए और कामवासना का विचार करता रहे, तो उसकी कामवासना की शक्ति इस डिब्बे में संग्रहीत हो जाती है। लेकिन अब इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण क्या हो कि संगृहीत हो जाती है। वह कहता था - प्रमाण एक ही है कि आप किसी को भी इसके भीतर लिटा दें, जिसको बिलकुल पता नहीं है। वह एक मिनट के बाद कामवासना का विचार करना शुरू कर देता है। किसी को भी लिटा दें -वह कहता था—यही प्रमाण है। इसको तो वह हजारों लोगों का प्रमाण देता था। लेकिन इसको वैज्ञानिक कहते थे कि हम इसको कोई प्रमाण नहीं मानते। वह आदमी भ्रम में हो सकता है, उस आदमी की आदत हो सकती है। इस डिब्बे के भीतर, वह कहता था-जो विचार आप करेंगे, जहां आपका ध्यान जाएगा, वहीं शक्ति संगहीत हो जाती है। वह अनेक ऐसे लोगों को, जिनको मानसिक रूप से खयाल पैदा हो गया है कि वे क्लीव हैं, इंपोटेंट हैं, इन बाक्सों में लिटाकर ठीक कर देता था। क्योंकि वह कहता था - इनमें आर्गान इनर्जी इकट्ठी है। यह जो पावलिटा है, वह आपकी कोई भी शक्ति को आपके ध्यान से इकट्ठा कर लेता है। __आपको खयाल में न होगा, जब आपकी तरफ लोग ध्यान देते हैं तो आप स्वस्थ अनुभव करते हैं, जब आपकी तरफ लोग ध्यान नहीं देते तो आप अस्वस्थ अनुभव करते हैं। इसलिए एक बड़ी अदभुत घटना घटती है कि जब आप चाहते हैं कि लोग ध्यान दें, आप बीमार पड़ जाते हैं। बच्चे तो इस ट्रिक को बहुत जल्दी समझ जाते हैं। आपकी सौ में से नब्बे बीमारियां ध्यान की आकांक्षाओं से पैदा होती हैं, क्योंकि बिना बीमार पड़े घर में आपको कोई ध्यान नहीं देता। पत्नी बीमार पड़ जाती है तो पति उसके सिर पर हाथ रखकर बैठता है। बीमार नहीं पड़ती तो उसकी तरफ देखता भी नहीं। पत्नी इस रहस्य को जान-बूझकर नहीं, अचेतन में समझ जाती है कि जब उसे ध्यान चाहिए तब उसे बीमार होना पड़ेगा। इसलिए कोई स्त्री उतनी बीमार नहीं होती जितनी दिखाई पड़ती है। या जितना वह दिखावा करती है। या जब उसका पति कमरे में होता है तो जितना वह कूल्हती, कराहती और आवाजें करती है, वह आवाजें उतनी नहीं हैं, जितना कि पति कमरे में नहीं होता है तब वह करती है। तब भी नहीं करती है। इस पर थोड़ा ध्यान देने जैसा है। कारण क्या होगा? बच्चे बहुत जल्दी सीख जाते हैं कि जब वे बीमार होते हैं तो सारे घर की अटेंशन उनके ऊपर हो जाती है। एक दफा यह बात समझ में आ गयी कि अटेंशन आकर्षित करने के लिए बीमार होना रसपूर्ण है तो जिंदगीभर के लिए बीमारी आधार बना लेती है। ___ मनोवैज्ञानिक सलाह देते हैं, लेकिन बुद्धिमानी की सलाह बड़ी उल्टी मालूम पड़ती है। वे कहते हैं-जब कोई बीमार हो तब जान-बूझकर भी उस पर कम से कम ध्यान देना, अन्यथा उसे बीमार होने के लिए तुम कारण बनोगे। जब कोई बीमार हो तब तो ध्यान देना ही मत। सेवा कर देना, लेकिन ध्यान मत देना-बड़े तटस्थ भाव से। बीमारी को कोई रस देना खतरनाक है, तो जिंदगी में वह आदमी कम बीमार पड़ेगा, ज्यादा स्वस्थ रहेगा। उसके लिए ध्यान और बीमारी जुड़ेगी नहीं। लेकिन ध्यान से शक्ति मिलती है। इसीलिए तो इतना सारी दुनिया में ध्यान पाने की कोशिश चलती है। एक नेता को क्या रस आता होगा? जूते खाए, गालियां खाए, उपद्रव सहे-रस क्या आता होगा? लेकिन जब वह भीड़ में खड़ा होता है तो सब आंखें उसकी तरफ फिर जाती हैं। पावलिटा कहता है कि वह सबकी शक्ति से भोजन पाता है। कोई आश्चर्य नहीं कि नेहरू कुछ दिन और जिंदा रह जाते, अगर चीन का हमला न होता। अचानक भोजन कम हो गया। ध्यान बिखर गया। कोई राजनीतिक नेता पद पर रहते हुए मुश्किल से मरता है, इसलिए कोई राजनीतिक नेता पद नहीं छोड़ना चाहता, नहीं तो मरना और पद छोड़ना करीब आ जाते हैं। मुश्किल से मरता है, कोई राजनीतिक नेता पद पर। मरना ही पड़े आखिर में, यह बात अलग है। अपनी पूरी कोशिश वह यह करता है कि जीते जी पद न छूट जाए, क्योंकि पद छूटते ही उम्र कम हो जाती है। लोग रिटायर होकर जल्दी मर जाते हैं। अब जो 140 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340008
Book TitleMahavir Vani Lecture 08 Tap Urja ka Disha Parivartan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size77 MB
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