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________________ महावीर-वाणी भाग : 1 और किस सुई के माध्यम से वे पुनरुज्जीवित हो सकेंगे, यह अभी तय नहीं हो सका। अगर एकाध पत्थर का टुकड़ा होता तो सांयोगिक भी हो सकता था। सात सौ सोलह हैं। सब एक जैसे, जिनमें बीच में छेद हैं। सब पर ग्रूव्ज हैं और उनकी पूरी तरह सफाई, धूल-धवांस जब अलग कर दी गयी और जब विद्युत यंत्रों से उनकी परीक्षा की गई तब बड़ी हैरानी हुई, उनसे प्रतिपल विद्युत की किरणें विकीर्णित हो रही हैं। __ लेकिन क्या आदमी के पास आज से बारह हजार साल पहले ऐसी कोई व्यवस्था थी कि वह पत्थरों में कछ रिकार्ड कर सके? ___ जापान के एक पर्वत शिखर पर पच्चीस हजार वर्ष पुरानी मूर्तियों का एक समूह है। वे मूर्तियां 'डोबू' कहलाती हैं / उन मूर्तियों ने बहुत हैरानी खड़ी कर दी, क्योंकि अब तक उन मूर्तियों को समझना संभव नहीं था - लेकिन अब संभव हुआ। जिस दिन हमारे यात्री अंतरिक्ष में गये उसी दिन डोबू मूर्तियों का रहस्य खुल गया; क्योंकि डोबू मूर्तियां उसी तरह के वस्त्र पहने हुए हैं जैसे अंतरिक्ष का यात्री पहनता है। अंतरिक्ष में यात्रियों ने, रूसी या अमरीकी एस्ट्रोनाटस ने जिन वस्तुओं का उपयोग किया है, वे ही उन मूर्तियों के ऊपर हैं, पत्थर में खुदे हुए। वे मूर्तियां पच्चीस हजार साल पुरानी हैं। और अब इसके सिवाय कोई उपाय नहीं है मानने का कि पच्चीस हजार साल पहले आदमी ने अंतरिक्ष की यात्रा की है या अंतरिक्ष के किन्हीं और ग्रहों से आदमी जमीन पर आता रहा है। ___ आदमी जो आज जानता है, वह पहली बार जान रहा है, ऐसी भूल में पड़ने का अब कोई कारण नहीं है। आदमी बहुत बार जान लेता है और भूल जाता है। बहुत बार शिखर छू लिये गये हैं और खो गये हैं। सभ्यतायें उठती हैं और आकाश को छूती हैं लहरों की तरह और विलीन हो जाती हैं। जब भी कोई लहर आकाश को छूती है तो सोचती है : उसके पहले किसी और लहर ने आकाश को नहीं छुआ होगा। ___ महावीर एक बहुत बड़ी संस्कृति के अंतिम व्यक्ति हैं, जिस संस्कृति का विस्तार कम से कम दस लाख वर्ष है। महावीर जैन विचार और परंपरा के अंतिम तीर्थंकर हैं --चौबीसवें। शिखर की, लहर की आखिरी ऊंचाई। और महावीर के बाद वह लहर और वह वातावरण जिसमें वे सूत्र सार्थक थे, आज कहीं भी नहीं है। ऐसा समझें कि कल तीसरा महायुद्ध हो जाए, सारी सभ्यता बिखर जाए, फिर भी लोगों के पास याद्दाश्त रह जाएगी कि लोग हवाई जहाज में उड़ते थे। हवाई जहाज तो बिखर जाएंगे, याद्दाश्त रह जाएगी। वह याद्दाश्त हजारों साल तक चलेगी और बच्चे हंसेंगे, वे कहेंगे कि कहां है हवाईजहाज, जिनकी तुम बात करते हो? ऐसा मालूम होता है कहानियां हैं, पुराण-कथाएं हैं, 'मिथ' हैं। ___ जैन चौबीस तीर्थंकरों की ऊंचाई - शरीर की ऊंचाई - बहुत काल्पनिक मालूम पड़ती है। उनमें महावीर भर की ऊंचाई आदमी की ऊंचाई है, बाकी तेईस तीर्थंकर बहुत ऊंचे हैं। इतनी ऊंचाई हो नहीं सकती; ऐसा ही वैज्ञानिकों का अब तक का खयाल था, लेकिन अब नहीं है। क्योंकि वैज्ञानिक कहते हैं, जैसे-जैसे जमीन सिकुड़ती गयी है, वैसे-वैसे जमीन पर ग्रेवीटेशन, गुरुत्वाकर्षण भारी होता गया है। और जिस मात्रा में गुरुत्वाकर्षण भारी होता है, लोगों की ऊंचाई कम होती चली जाती है। आपकी दीवाल की छत पर छिपकली चलती है, आप कभी सोच नहीं सकते कि छिपकली आज से दस लाख साल पहले हाथी से बड़ा जानवर थी। वह अकेली बची है, उसकी जाति के सारे जानवर खो गये। __ उतने बड़े जानवर अचानक क्यों खो गये? अब वैज्ञानिक कहते हैं कि जमीन के गुरुत्वाकर्षण में कोई राज छिपा हुआ मालूम पड़ता है। अगर गुरुत्वाकर्षण और सघन होता गया तो आदमी और छोटा होता चला जाएगा। अगर आदमी चांद पर रहने लगे तो आदमी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340001
Book TitleMahavir Vani Lecture 01 Mantra Divya Lok ki Kunji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size76 MB
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