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________________ 390 Padmanabh S. Jaini Jambu-jyoti चौपड़ कहै जुगलीया कोउ मुंवौ ताकी तियन रंडापौ हुवौ ! सोई रिषभदेव धरि आनी, भई सुनंदा दूजी रानी // 37 // सोरठा करै न निंदित काज जो समानिक हौइ जन / क्यौं करि श्री जिनराज करै अकारज विधिकरन // 38|| कहै कोउ कहै कोउ रिषभ थौ विप्र तिसूं देवानन्द तिय ता गर्भि जिन वीर उतर्यो / दिन असी तिनिल (?) बस्यौ तिहां तब इंद्र सम? हीन जाति दुज कुल विषै महापुरुष अवतार जोगि नांहि तातै करौं और गरभ संचार // 39 // सोरठा कीयौ इन्द्र आदेस हिरनगवेषी देवको। कीधौ तास परवेस त्रिसला के तिनि गर्भ में ||40 // चौपड़ पहिलै गर्भ क्यों न हरि लीनौ, आसी दिन बीतै क्यों कीनौ / पहिलै कहा जानै हौ नाहीं, कहौ विचारि धारि मनमांहीं // 41 // अडिल दिज घरवासि सिद्धारथ घर जब संचरिउ / गरभ कल्यानक कहौ कहां जिन को कर्यो / / जौ दुज घरि तौ हौइ हीनता इसकी सिद्धारथ घरि कीया न बनै हदीस की // 42 // जौ दोनौ घरि तौ कल्यानक छह गनौ / जौ दोनौ कै नाहि तुछ पर्यो होलनौ / सीलभंग तौ होइ जिनेश्वरमात का जातै वीरज नांहि सिद्धारथ तात का // 43 // चौपइ जहां बात का नांहि निबेरी(रा), तहां कलपि करि कहै अछेरा / ऐसी बानी मूढ बखाने, दरसन मोहे लीन सरद्यानै // 44 // दोहरा पंच कुमार जिनेस है सत्यारथ मत मांहि / मल्लि नेमि एइ कुमर कहै दोइ अरु नांहि // 45 // तीर्थंकर जिन कौं नमै सामानिक जिन होइ / कहै बाहुबलि केवली नयौ(म्यौ) रिषभ के पाइ // 46 / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.269051
Book TitleHemaraj Pandes Caurasi Bol
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmanabh S Jaini
PublisherZ_Nirgranth_Aetihasik_Lekh_Samucchay_Part_1_002105.pdf and Nirgranth_Aetihasik_Lekh_Samucchay_Part_2
Publication Year2004
Total Pages5
LanguageEnglish
ClassificationArticle & Literature
File Size381 KB
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