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________________ पुष्पचूलिका और वृष्णिदशा 319] इस प्रकार प्रस्तुत सूत्र के प्रथम अध्ययन में निषधकुमार के पाँच भवों का संक्षिप्त उल्लेख मिलता है, जिसमें तीन भव मनुष्य के एवं दो भव देवता के हैं। प्रथम भव वीरांगद का, द्वितीय भव ब्रह्मलोकवासी देव का, तृतीय भव निषधकुमार का, चतुर्थभव सर्वार्थसिद्ध देव का, पांचवा भव महाविदेह क्षेत्र के राजकुमार का, जहां से मोक्ष प्राप्त करेगा। इसके शेष ग्यारह अध्ययनों में मातलीकुमार आदि ग्यारह कुमारों का वर्णन है। सभी का जीवन प्रसंग निषधकुमार की भांति ही समझना चाहिए। किन्तु इन कुमारों के पूर्वभव के नामोल्लेखं प्राप्त नहीं होते। सभी कुमार अन्तत: मोक्षगामी हुए। इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रस्तुत वण्हिदशा (वृष्णिणदशा) उपांग सूत्र में यदुवंशीय राजकुमारों का वर्णन है। इसमें कथातत्वों की अपेक्षा पौराणिक तत्त्वों का प्राधान्य है। पुष्पचूलिका उपांग सूत्र में जहां भगवान पार्श्वनाथ के शासनकाल की साश्वियों का वर्णन है, वहाँ वृषिणदशा सूत्र में अर्हन्त अरिष्टनेमिनाथ के शासनकाल में दीक्षित अणगारों का। इससे श्रमण भगवान महावीर के विशाल उदार दृष्टिकोण का परिचय मिलता है साथ ही साध्वियों के संप्राप्त इतिहास से साध्वी समाज का महत्त्व सहज ही आंका जा सकता है। - द्वारा, आगम प्रकाशल समिति, पीपलिया बाजार, ब्यावर (राज.) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229830
Book TitlePushpachulika aur Vrushnidasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherZ_Jinavani_003218.pdf
Publication Year2002
Total Pages5
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size79 KB
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