SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उत्तर ||15,17 नवम्बर 2006|| जिनवाणी सामायिक व्रत के पाठ से भी अशुभयोग का प्रतिक्रमण होता है। वहाँ स्पष्ट उल्लेख है- मन, वचन एवं काया के अशुभयोग प्रवर्ताये हों तो उसका मिच्छा मि दुक्कडं ! प्रश्न क्या प्रतिक्रमण में आजकल भाव की अपेक्षा द्रव्य पर अधिक बल दिया जाता है? आजकल द्रव्य को लेकर ज्यादा प्रवृत्ति होती है, भाव को लेकर बहुत कम। चिड़ी का बच्चा मर जाय तो उसका प्रायश्चित्त लेने के लिए बहुत से भाई-बहन आते हैं, किन्तु क्रोध, मान, माया, लोभ को छोड़ने के लिए प्रायः कोई संकल्प लेने नहीं आता है। शास्त्र में भी द्रव्य क्रिया पर बल मिलता है। 'इरियावहियं के पाठ में द्रव्य-हिंसा का प्रतिक्रमण किया जाता है। भाव की उसमें कोई बात नहीं है। प्रश्न सच्चा प्रतिक्रमण क्या है? उत्तर ___ आत्म-स्वरूप को छोड़कर बाहर भटकना अतिक्रमण है तथा पुनः निज-स्वरूप में आना प्रतिक्रमण है। कहा भी है अतिक्रमण है निजस्वरूप से, बाहर में निज को भटकाना। प्रतिक्रमण है निज स्वरूप में, फिर वापस अपने को लाना।। प्रश्न द्रव्य, क्षेत्र, काल एवं भाव से प्रतिक्रमण का क्या स्वरूप है? उत्तर प्रतिक्रमण के पाठ का उच्चारण द्रव्य प्रतिक्रमण है। प्रतिक्रमण करने का स्थान क्षेत्र प्रतिक्रमण है। (छठे व्रत एवं दसवें व्रत के द्वारा भी क्षेत्र प्रतिक्रमण होता है) प्रतिक्रमण में लगने वाला काल 'काल प्रतिक्रमण' है। सायंकाल का प्रतिक्रमण दिन के अन्तिम भाग में होना चाहिए। साधु-साध्वी के लिए प्रतिलेखन के पश्चात् प्रतिक्रमण कहा गया है। यह प्रतिक्रमण एक मुहूर्त में अर्थात् 48 मिनट में हो जाना चाहिए। प्रश्न प्रत्याख्यान आवश्यक का क्या अभिप्राय है? उत्तर मैं पर-वस्तु को अपनी नहीं समझूगा, मैं दिनभर क्रोध नहीं करूँगा आदि संकल्प प्रत्याख्यान है। प्रत्याख्यान का अर्थ है त्याग। ज्ञानपूर्वक त्याग सुप्रत्याख्यान है तथा अज्ञानपूर्वक त्याग दुष्प्रत्याख्यान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229793
Book TitlePratikraman Nij Swarup me Aana
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZ_Jinavani_002748.pdf
Publication Year2006
Total Pages2
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size182 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy