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120 (१४) तीर्थना रखोपानी बाबते ते काळनो संघ आजना जेटलो बेदरकार
नहोतो, ते वातनी प्रतीति, मुख्य ढूंकमां चोक्कस स्थानो पर राखेली
तोपोना उल्लेखथी समजाय छे (पेरा. ७५). (१५) रायणपगलानी डाबी तरफ, त्रीजी प्रदक्षिणामां आवे छे ते नमि-विनमि
तथा भरत-बाहुबलिनी प्रतिमाओनी प्रतिष्ठा सं. १४३०मां थई होवानो उल्लेख, एक ऐतिहासिक माहिती पूरी पाडे छे (पेरा. ८५) पेरा. १०७मां अद्धनाथजी (अद्भुतनाथ, अदबदजी)नी विगतमां "अदबुधनाथजीना बोन (बहेन) बाई माकलबाई बेठा"नो निर्देश बहु रोचक छे. माकलबाईनुं पाछळ्थी माणेकबाई पण थयानुं जाणवा मळे
(१७) एक रसप्रद माहिती आमां ए मळी आवे छे के शत्रुजय पर (मोदीनी
टुंकमां) एक देरी एक गुसांई बावा भीमगरे बंधावी छे अने तेमां
प्रभु-प्रतिष्ठा पण करी छे (पेरा. १११) (१८) साकरवसई-टुंकमां मूलनायक पार्श्वनाथ होई, ते मुख्य मंदिरनी सामे
बनावेल देरामां पुंडरीकस्वामीने स्थाने पार्श्वनाथजी ज पधरायेल होवानो निर्देश करीने लेखके ऊंडी समजशक्ति दाखवी छे (पेरा. १२४). वळी, ए ज पेरामां मुनि रूपविजयजी अमदावादवालानी पगलांदेरीनी पण नोंध थई छे. डहेलावाळा उपाश्रयना पं. रूपविजयजीनी
ज आ देरी होवी जोईए. (१९) सुलतान जहांगीर तथा शाहजादा खुशरुनो उल्लेख पेरा. १२८मां थयो
छे. पेरा. १३६मां पण जहांगीरनुं नाम छे... (२०) गौमुखयक्षना चरण (पादुका)नी देरीनो उल्लेख पण छे (पेरा. १२९).
सामान्यत: देव-देवीनां चरण क्यांय जोवा नथी मळतां. (२१) चौमुखजी-टुंकनी बाजुमां उगमणे मरुदेवी मातानी टुंकनो तथा तेमां
मुख्य तरीके हाथी पर बेठेल माताजी होवानो तथा त्यांनुं अन्य एक देरासर संप्रति राजानु होवानो निर्देश ध्यानार्ह छ (पेरा. १३६).
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