SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 5
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 106 थशे एवो विचार थवो तेने दया कहे छे. जैन शास्त्रोमां दयाना आठ प्रकार गणाव्या छ : द्रव्यदया, भावदया, स्वदया, परदया, स्वरूपदया, अनुबंधदया, व्यवहारदया अने निश्चयदया. आमांथी द्रव्यदया, स्वदया, परदया अने स्वरूपदयानो सीधी के आडकतरी रीते आहारक्षेत्र साथे संबंध आवे छे. (३) आहारनुं प्रयोजन, प्रकारो अने मानवशरीर माटेनी तेनी जरूरियात आहारतुं प्रयोजन केवळ पेट भरवा पूरतुं, तंदुरस्ती जाळववा पूरतुं के स्वाद संतोषवा पूरतुं ज नथी, बल्के मन अने चारित्र्यनो विकास करवानुं पण छे. 'जेवो आहार तेवो ओडकार' अथवा 'जेवो आहार तेवो मनुष्य' ए कहेवतो आजना जमानामां पण मनुष्यने लागु पडे छे. माणसनो विविध प्रकारना खोराकनो शोख तेनी वर्तणुंक अने चारित्र्यनो सूचक बनी रहे छे. तेथी आपणा खोराकनो उद्देश एवो होवो जोइए के जेथी आपणे जे खोराक खाइए ते आपणा शारीरिक, नैतिक, सामाजीक अने आध्यात्मिक उन्नतिने उपकारक बने अने स्नेह, वात्सल्य, दया, अहिंसा, शान्ति अने एवा बीजा सद्गुणोनो पोषक बनी रहे. ___ आपणा आहारना प्रकारो एवा होवा जोइए जेमांथी ऊर्जा, स्वास्थ्य अने उष्मा उत्पन्न थाय. आ माटे आपणा खोराकमां प्रोटीनो, शर्करा, विटामिनो, खनिजो अने तैली पदार्थो पूरता प्रमाणमां होवा जोइए जेथी सारी गुणवत्तावाळा नवा कोशो अने लाल रक्तकणो सतत उत्पन्न थता रहे. आपणा शरीरमांना बधा ज कोशो तथा पेशीओ छ महीनामां साव ज बदलाइ जाय छे अने नवी उत्पन्न थइ जाय छे.१० आपणा शरीर अने एमांना फेरफारोनो आधार आपणा खोराक पर होय छे. वळी आपणो खोराक एवो होवो जोइए जेनाथी आपणा शरीरनी रोग-प्रतिकारक संरक्षण व्यवस्था सचवाइ रहे अने मजबूत बने, अने एमां रोगकारक तथा स्वास्थ्य विनाशक तत्त्वो सदंतर होवां जोइए . आ माटे कुदरते ८. एजन, पृ. ६१-६२. ९. अग्रवाल गोपीनाथ - वेजीटेरियन ऑर नॉन-वेजीटेरियन ; यूझ यॉर सेल्फ (अंग्रेजी), जैन बुक एजन्सी, न्यु दिल्ही, पांचमी आवृत्ति, १९९१, पृ. ५. १०. एजन. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229701
Book TitleAajna Vignan Yug ma Jain Jiv Vicharnani Aahar Kshetra Prastutta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN M Kansara
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages8
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size309 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy