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________________ मार्च २०१० ४. मनुस्मृति अध्याय ११ प्रायश्चित्तविधि पृ. ३८८ से ५१७ याज्ञवल्क्यस्मृति, प्रायश्चित्तप्रकरण (५) पृ. ३८८ से ५१७ ११९ ५. महाभारत २.११.१८ (१२७*); ५.४३.१२; ६.१०३.७८; १२.३६.१९ ६. योग - दर्शन २.३०,३१ ७. आचारांग चूलिका १५.४२, ४३, ४९, ५०, सूत्रकृतांग १.२.५७; स्थानांग ३.५२४; ५.१; उत्तराध्ययन १९.१०, २८, ८९; २०.३९; २१.१२; आवश्यक ४.३., ८, ९; ५.२ ८. धर्मशास्त्राचा इतिहास (उत्तरार्ध) पृ. १६७, १७१ ९. धर्मशास्त्राचा इतिहास (उत्तरार्ध) पृ. १६६ १०. उत्तराध्ययन १२.१७; १४.१२; २५.३० ; धम्मपद २६.२३; सुत्तनिपात चूळवग्ग, ७ वा ब्राह्मणधम्मिकसुत्त ११. महाभारत शांतिपर्व ३४६.१०, ११ १२. ऋषिभाषित - नारद नामक प्रथम अध्ययन १३. मनुस्मृति ५.१५५, ८.१८; ९.३३४, ३३५; १०.१२१ से १२६; ११.१३ १४. धर्मशास्त्राचा इतिहास ( उत्तरार्ध) पृ. १६७, १६९ १५. उत्तराध्ययन अध्ययन १२, अध्ययन १४, अध्ययन २५; धम्मपद अध्ययन २६ १६. उपासकदशा १.२३; औपपातिक पृ. ३५७, ३५८, ४७४ - ४८३; वसुनन्दिश्रावकाचार गा. २०७ से २२० १७. धम्मपद १८.१२; सुत्तनिपात चूळवग्ग, १४वा धम्मिकसुत्त पृ. ९५ से १८. धर्मशास्त्राचा इतिहास पृ. १६९ १९. धर्मशास्त्राचा इतिहास पृ. १६० २०. उत्तराध्ययन १९.२५-३१; तत्त्वार्थ ७.१ २१. तत्त्वार्थ ७.१ २२. तत्त्वार्थ ७.२; आचारांग चूलिका १५.४२, ४३; सूत्रकृतांग १.२.५७; स्थानांग ५.१.; उत्तराध्ययन २०.३९; २१.१२; आवश्यक ४.८ से १२ २३. आचारांग चूलिका, उत्तराध्ययन, दशवैकालिक, छेदसूत्र, मूलाचार, भगवती आराधना, उपासकदशा, श्रावकप्रज्ञप्ति, रत्नकरण्डकश्रावकाचार, वसुनन्दिश्रावकाचार, पुरूषार्थसिद्धयुपाय १०१ २४. भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान पृ. १८,१९ २५. अन्तगड वर्ग ८; औपपातिक पृ. १६३ - १७२ २६. स्थानांग ३.३८५; समवायांग ३. ३; भगवती १४.७१ ; ज्ञाताधर्मकथा १.१६.११३;
SR No.229694
Book TitleHindu aur Jain Vrat Ek Kriya Pratikriyatmaka Lekha Jokha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnita Bothra
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages20
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size145 KB
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