________________
रानि हि जाइवि कवसग देइ, मासह पाख ह सो पारे इ. x x x x x x x x x x x x x x x x x
१२. वाउ वाइ तह कोरणु धणउ, मुणिवर अंगहि पडियइ तिणउ, सोनवि हस्थिहिं दे ठउ कर ए, खरउ दुहेलउ आंखित हझूर ए.
पूरिय अवधि चलिउ तहि ठाए, कवणह नयरिय विहरण जाए, अवरि न गइयउ चंपा पइठउ, अंखहि झरंती सुभदा दीठउ.
सुभदा मणइ माह चिंतिती, आविउ मुणिवस तह विहरती, वडिय भगति कीयउ विहरणउ, सुभदा अंखहि झडपिउ तिणउं'
सासू हू ती जीमत बै ठी, त्रिणं उ लिपति स भदा दीठी, विकलपु वसियउ मन्नह मां हिं, वहुडी रहिसिम पीहरि जाहि
सुभद्रा ए भणई संभलि माए, नीकर वयण कि सहणउ जाए. कवणि काजि तम्हि कोन्हउ रोसो, अम्हह काई चढावि दोसो
वंदइ दे व गुणइ नवकारा, नीर गलं ती भन्नि वे वारा, महसइ महसइ कहइ न आए, पाच्छिय लोवण दे हरि जाए.
१८. अम्हि दीठउ तुम्हारउ चरिउ, धमियउ सोनउ फूकह हरिउ, त उ महसइ निंदइ अप्पाणु, ता किवे पहेविदि ऊगेइ भाण.
सुभद्रा भणई जइ वरतइ धंमु, पाणिउ अन्नु अनेरइ जम्मु. स भदा भणई न पीहरि जाउं, महरि चडाविउ एवड़ नाउ.
सासू ससरासु न मिले हो, भणइ महासइ मई सु कहे हो, खूणो भी तरि छइ लंघती, सास नणदउला लजंती.
२१. [८०]
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org