SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 85 वळी, डॉ. कुलकर्णीनी ए दलील के, 'आ कृति अर्धमागधीमां-गद्यमां छे तेथी ते हरिभद्रप्रणीत मानी शकाय नहि, केम के तेमनी बीजी कृतिओ तो प्राकृतमां छे', ए पण न मानी शकाय तेवी छे. शुं एक ज कर्ता जुदी जुदी भाषाओ अने शैलीओ न प्रयोजी शके ? शुं एक कर्ता पद्यमां तेम ज गद्यमां पण लखी न शके ? वस्तुतः आ बाबत तो एक ज कर्ताना विपुल भाषाज्ञाननी अने व्यापक प्रतिभानी द्योतक बनी रहे तेवी छे.. ७. बीजी एक महत्त्वनी बाबत ए छे के 'पञ्चसूत्र' चिरन्तनाचार्य नी रचना होवानुं मनाय छे, अने ए 'चिरन्तन आचार्य' नुं नाम अज्ञात छे एम मानीने ज आपणे आजपर्यंत चाल्या छीए. प्रश्र ए थाय छे के आ चिरन्तनाचार्य आजे आपणा माटे अवश्य चिरन्तन गणाय अने तेथी ते कदाच अज्ञात पण होवा स्वीकारी लईए. परंतु आ.हरिभद्रसूरि माटे आ चिरन्तनाचार्य अने तेमनुं नाम अज्ञात होय ए केवी रीते मानी शकाय? डॉ. कुलकर्णीए अनुमान्युं छे के आ चिरन्तनाचार्य ते हरिभद्रसूरिथी आशरे १०० वर्ष के तेथी थोडा वधु वखत पहेला थया होवा जोइए.६३ अने आपणे पञ्चसूत्र ने Post-canonical रचना मानीने चालवानुं होय तो डॉ. कुलकर्णीनुं आ अनुमान स्वीकारवू ज जोइए. हवे विचारीए के पोतानाथी सो-बसो वर्ष पूर्वे ज थयेला चिरन्तनाचार्यना नामथी श्रीहरिभद्रसूरिजी अजाण अने अपरिचित होय एवं बनवू संभवित अने बुद्धिगम्य गणाय खरं ? वास्तवमा हरिभद्रसूरिथी, आ कृतिनी जेम ज तेना कर्ता पण-जो होय तो-अजाण्या न ज होइ शके. अने जो ते पोते आ सत्रकारने जाणता होय तो तेमनो नामोल्लेख कर्या विना न ज रहे. छतां तेमणे तेम नथी कर्यु, ते मुद्दो आपणने तेमने ज सूत्रकार तरीके मानवा तरफ दोरी जाय छे. उपरनी विस्तृत विचारणानुं फलित ए छे के 'पञ्चसुत्त' नी टीकानी जेम ज, तेना मूळ सूत्रना प्रणेता पण श्रीहरिभद्रसूरिजी महाराज ज छे ; अने ए सिद्ध थवानी साथे ज, आ लेखना आरंभमां आपेला, प्रो. वी. एम. शाह, प्रो. के. वी. अभ्यंकर, प्रो. ए. एन. उपाध्ये तथा डॉ. वी. एम. कुलकर्णी - ए चार विद्वानोए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229685
Book TitlePanchsutra na Karta Kon Chirantanacharya ke Haribhadra Acharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages23
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size504 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy