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१३४
कोडि
सिलेमी
गिरी
परिघल
निबली
हलवइ
काबली चिण
सुरहा
मुंठकचरा
सरघू
धुपंगारीया
सोआ
वथूया
सिना
पलेव
छछनाला
पांडल पाणी
पांभडी
अटाणं
चोवा
गहणा
कोड - मनोरथ सुलेमानी (?)
गर- गर्भ
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भरपूर
नबळी
हळवे
काबुली चणा
सुरभि-सुगन्धी
सरगवो
धूप- अंगारिया अर्थात् सगडीमां बळीने
भडथुं थयेल (?)
सूवा (नी भाजी)
वत्थुला (भाजी) भीना (?)
पाटलानी सुगन्धवाळं (?)
पामरी - पीताम्बरी
चूवो
घरेणां
अत्र पुनः ग्रन्थान्तराणुसारेण भोजनविच्छित्त (त्ति) प्राहः मांड्यो उत्तंग तोरण मांडवउं, तुरत बैसवानो नवो जे रमणीक आंगणो, ते तो नील रतनतणो । सखरा मांड्या आसण, तिहां बैसता किसी विमासण आगइ मूंकी सोनानी आंडणी, ते किम जाइये छांडणी ।
अनुसन्धान ४९
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