________________ अनुसंधान-२१ इय संथ्य सामी सिवपुरगामी रविसिंहई पणमीय(मिय) चलण / लद्धइ मणुअत्तणि समरित नी(नि)यमणि जिम जीय छुट्टइ भवभमण / / 13 / / // इति सास्वता // संवत् 1667 वर्षे चैत्र सुदि 13 दिन आगमगच्छे भट्टारक श्री श्री 21 श्रीकुलवर्धनसूरि-तत् शिष्य ऋषिश्रीविद्यावर्धनेन लखितं वाच्यमाना चिरं नन्दतु // // श्रीशुभं तीर्थात् श्री // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org