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डिसेम्बर-२००९
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निय तिय ए करि संतोसु पर तिय मन्नहु मा बहिण । परिहरि ए कूडउ सो सुकरि, परिमाणु परिग्गहहं ॥१८।। जाणहु ए धम्मह भेउ, दाणु सीलु तपु भावणइ । देसण ए इम णिसुणेवि गुरु वंदिवि जं घरि गयउ ॥१९॥ धोवंतीए मिल्हि वि ठाइं, तव वसाउ समाचरइ । प्राइहिं ए पापहं चाइ, न्याइहिं धणु कणु मेलवए ॥२०॥
द्वितीय भाषा (घत्ता) कहउँ पनरस कहउं पनरस कम्म आदाण । इंगाली-वण-सगड भाड-फोड-जीविय-विवज्जउ । दंत-लक्ख-रस-केस-विस-वणिज कज्जि म कया वि सज्जउ ॥ जंत-पीड-निल्लंछणइ-असईय पोस दव दाणु । सर-दहसोसु सो किम करइ हवइ सुमाणु सुजाणु ॥२१॥ लोहकार सुनार ठठार भाडइ भुंजअन्नं कुंभार । अनुखीरोये जिन रचिकंति ते इंगाली कंमि लयंति ॥२२॥ कंद कउ तृण वण फल फुल्लइ विक्कहिं पन्न जि लब्भइ मुल्लइ । खंडणु पीसणु दलणु जु कीजइ वणि वियाजु कंमु सोवि कहिजइ ॥२३॥ घडहिं सगड जे वाहइ वी कहि, तीजइ कम्मदाणि ति ढूकहिं । खर वेसर महिं सुद्द बलिद्दा, भाडइ भारु वहावि सद्दा ॥२४॥ कूव सरोवर खाणि खणंति, अंनु विउड कंमु जि करंति । सिला कुट्ठ कंमू हल खेडणु, फोडी कंमु जु भूमिहिं फोडणु ॥२५॥ दंत केस नह रोमइ चम्मइ, संख कवड्डइ जो सइ सुम्मइ । कसथूरी आगइ जु वि साहइ, सो नरु आवइ धमु विराहइ ॥२६॥ लाख गुली धाहडीय महूवा, टंकण मणसिल वणिज महूवा । तुवरी वज्जाल वस कूडा, हरियाला नहु होही रुवडा ॥२७॥ सुर वस आमिसु अनु माखणु, रसवणिज्जु किम करइ वियक्खणु । दुप्पय चउप्पय वणिजि जु लग्गउ, केसवणिज नेमु तिणि भग्गउ ॥२८॥ विस कंकसिया हल हथियारा, गंधक लोह जि जीवहं मारा । ऊखल अरहट घटं रट वणिज्ज, इम विसवणिजु करइ जु अणज्जु ॥२९॥