________________
हस्तप्रतनी प्रशस्तिमां प्राप्त नगरो के गामो अंगेनी तिहासिक सामग्री : एक नोंध
डॉ. कनुभाई शेठ गुजरात प्रदेशनी ए विशेषता छे के अना हस्तप्रत ग्रंथभंडारोमां लाखोनी संख्यामां हस्तप्रतो सचवायेली छे. समयनी अपेक्षाओ ई.स. दशमा-अगियारमा सैकाथी आरंभी वीसमा सैका पर्यंत, प्रारंभमां ताडपत्र पर लखायेली अने पछीथी कागळ पर लखायेली लाखोनी संख्यामां हस्तप्रतो मळी आवे छे. भाषानी दृष्टिले जोईओ तो संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, प्राचीन गुजराती-राजस्थानी वगेरे भाषामां आवी हस्तप्रतो रचायेली-लखायेली छे । प्राचीन-मध्यकालीन गुजरातनुं आ हस्तप्रतोनुं साहित्य प्राय: जैन मुनिओने हाथे रचायेखें, लखायेलुं के लखावेलु छ । आ संदर्भमां अम कही शकाय के जैन मुनिओ वर्षाऋतुमां एक स्थळे स्थिरवास करीने अने शेष काळमां विविध स्थळोजे विहार करीने धर्मोपदेश आपता । आ काळ दरम्यान तेमना वड़े अनेक कृतिनी रचना करवामां आवी होय के नकल थई होय तेना स्थलनो ते कृतिमां के कृतिना अंतभागमां निर्देश करवामां आव्यो होय छे । आथी आपणने हस्तप्रतोमां - अना अंतभागमां - प्रशस्तिमां भारतभरना विविध नगरो के गामोनो उल्लेख प्राप्त थाय छ। आ उल्लेखमां संवत/साल, पक्ष, तिथि, वार के क्वचित ऋतुनो निर्देश होय छे । ते सिवाय ते नगर के गाम कया प्रदेशमां आव्युं छे तेनो उल्लेख होय छे के क्वचित ते नगर के प्रदेशना शासक (राजा)नो उल्लेख होय छे । आम आ परथी आपणने ते नगर के गामनो ते ते समयना अस्तित्व अंगेनो निर्देश मळे छे । केटलाक नगरो के गाममां के ज्या खास करीने आवी रचना के नकल थती, जेमके पाटण, स्थभंतीर्थ (खंभात), अमदावाद के जेसलमेर। अटले आवा नगर के गामना छेक प्राचीनकालथी आरंभी आज पर्यंतना निर्देशो आवी प्रशस्तिओमा उल्लेखायेला होय छे । जे ते ते नगरना के गामना सुदीर्घकालीन अस्तित्वने सूचवे छे । वळी केटलाक नगर के गाम ते ते समये जे जे नामे प्रचलित हता तेनी तारीखवार माहिती म.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org