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नु कुमर दधिपूर्ण । गमइ ? अत ना । वली प्रती । आ मरु - देस नु स्वांमी कृष्णदेव राजा - नु कुमर महीनाथ | गमइ ? अत ना । वली प्रती । अर्बुदाचलदेसनु स्वामी प्रहराज राय-नु कुमर राजस्यंधा । गमइ ? अत ना । वली प्रती० । दस सहस्र मेदपाट-नु स्वांमी सहस्रमल्ल- नु कुमर कलाकर्ण ! गमइ ? अंत ना । वली प्रती० | सवालख-नु स्वांमी मल्लराज तेह-नु अखइराज कुमर गमइ ? अत ना । वली प्रती । ऊंडडविहारदेस -नु स्वामी गंगाधर राजा-नु कुमर गंगदत्त 1 गमइ ? अत ना ।
तिहां थिकी त्रिणइ चाली अनइ गांगेड- नइ रथि आवी छई । प्रतीहारी कहइ छइ, साठि लक्ष कुरूक्षेत्र देस, ए तेह - नु स्वांमी गांगेउ बोलीअइ, जान्हवी गंगा-तणा उदर--नु ऊपनु, स्यांतन-राय- तणु पुत्र, सोभाग- सुंदर, असम साहसीक मल्ल । सहस्रकिरण सूर्य नइ प्रतापि, सोल-कला- संपूर्ण जेह - नी किरणावली । शूरवीर पराक्रमी, स्यंघ ने परिक्रमी । माता-पिता-नु भगत । गंगाजल - समान जेहना निर्मल गुण । वाचा - अविचल मर्यादा -मयरहर । सरणाईचिडाय - पांजर | दांनि दलिद्रहर, जाचक - जन - कल्पतर । एकांग वर वीर । वीराधिवीर बिरिदा चतुर्दश विद्या निधांन बत्रीस - लक्षणक । बहुत्तरि-कलाकुशल । कूर्चाल सरस्वती । गोत्र - गोवाल । बाल- ब्रह्मचारी । एह गांगेउ कुमर । जइ एह-ना पद कमल प्रामीअहं तु मनोवांछित वर-तणी प्राप्ति हुई । प्रतीहारी - ना ए बोल कहतां समी त्रिष्णइ कन्या ऊपाडी समकाल आपणइ रथि बसारी । वली गांगेउ कहइ छड़, भईओ ! कहिसि अणकहि छल करी गिउ । हुं कही कहावी जाउं । जेह ने खवे खाजि हुइ, ते आविज्यु । जेहनई पेट दुखतुं हुइ, ते आविजिउ । इस्या बोल कही गांगेइ हाथि धनुष लीधु । धोंकार नींपजाविउ । तिवारं घणा कुमर पलायन करवा लागा । नासता एकि अडवडी पडई छ । हाथ-पग अलगा हुई छई । जिम केसरी स्यंध - नइ नादि गजेंद्र गडडी पडइ ते परि सयंवर मंडप-माहि हुवा लागी छइ । चालिउ गांगेउ हस्तिनागपुर-भणी | तीह - माहि जे महा शूरवीर हता ते परस्परिडं कहिवा लागा । आपणपई जीवताइ आ एकाकी मात्र त्रिणिइ कन्या लेई चालिउ । वली कही कहावी - नइ । ति वार लाख राजकुमार ऊ ( ४ क ) ठिया । आपणे आपणे परिवार - सहित गांगेउ - ना रथ-भणी आवीआ । गलई वलिया रथ चउ केर वॉटिउ । बांण- नी धर धोरणि चलावी । पणि गांगेउ लगइ एकइ न जाई । पणि तुह
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