________________ अनुसंधान-२३ पूरी पाडे छे. वळी, झवेरीवाडमां कोठारीपोळ नाम बोलातुं लुप्त थतुं जाय छे त्यारे ते नाम पण विशेष अगत्यनुं बने छे. // देशी // सामलियाजी // चालो चालो चंतामण पास रे, मारुं मनडुं थयुं उलास रे. पुरे माहरा मनडानी आस रे, हुं तो चरण कमलनो दास रे सामलियाजी // 1 // प्रभु बेठा कोठारि पोले रे, जाचक बिरदावली बोले रे गोरी गावे मलि टोले रे, माहरा जिनजिनी नहि कोई तोले रे सा० // 2 // संवत अढार पीसताले रे, माघ वदि केरी चोथ गुरुवारे रे प्रभु तखत बेसार्या ताहरे रे, सेठ नथमल साह उदारे रे सा. // 3 // अनुक्रमे वरस वोलि जाई रे, अढार अठयासि माहे रे सेठ नथमलसा लघुभाई रे, वखतचंद पुत्र सवाई रे सा० // 4 // मंदिर उद्धार कराव्यो रे, मंडप चोबारो छायो रे आरसदल फरस बनाव्यो रे, चैत्य दिपे अतिहिं सवायो रे सा०||५|| वालो वामा राणिई जायो रे, अश्वसेन नृपकुल आयो रे सामलियो दिपे सवायो रे, हुं तो पुरव पुन्ये पायो रे सा०।६।। प्रभु पुरसादाणि पास रे, आदै नाम करम जास रे मुज कठिण करम करे नास रे, देवे मुज अविचल वास रे सा० // 7 // श्रीशांतिसागर सूरंद रे सागर गछमा दिपे इंद्र रे. पन्यास प्रमोद मूणंदरे तस सीष कहे मुनिचंद्र रे सां(सा) // 8 // अघरा शब्दो जाचक याचक - भोजक बेसार्या प्रतिष्ठा करी वोलि जाई वीती गयां पुरुसादाणि लोकोना विशेष आदरपात्र आदरपात्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org