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सप्टेम्बर २०१०
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वेद वेदनी संख्या ४ छे. माटे वेदवदन सूत्र-९ मां कोणिकना परिवारनुं वर्णन छे, आ ग्रन्थ = कोणिक साम्हैयानी ढाळो बहुल हुं (= वीरविजयजी म.) कहीश नही. सरखावो पू. वीरविजयकृत स्नात्रपूजा :'आतमभक्ति मल्यो केइ देवा, केता मित्तनुजाइ,
नारी प्रेर्या, वळी निज कुल वट, धर्मी धर्मसखाइ.'
'पूर्व सुणित' कह्युं छे माटे ओम लागे छे के प्रभु अहिं पहेला पण पधार्या
हता अने देशना आपी हती.
भवनपति, व्यंतर, ज्योतिष, वैमानिक देवोनुं
११. चामरोनो वर्ण कृष्ण बताव्यो छे. औप. टीका पण छे- 'चामरोत्करकृतान्धकारता चामराणां कृष्णत्वात् ।' त्यारे चामरो कृष्ण पण बनता हशे. अर्थात् चमरी गाय श्वेतनी जेम श्यामवर्णनी पण हशे .
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१०. सूत्र - २२ थी २६. चारनिकाय वर्णन छे. अहिं लीधुं नथी.
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चतुर्मुख. अहिं लीधुं नथी.
घणी थइ जाय माटे विस्तारथी
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१२. औप- सूत्र - ३४मां भगवाननी देशना आपी छे. परन्तु अहीं अ सूत्रनो भावानुवाद न लेता कविश्री पोतानी रीते भगवानना मुखमां देशना मूकी छे.
१३. सूत्र- ३५ मां मनुष्य पर्षदा, सूत्र - ३६मां कोणिक राजा अने सूत्र - ३७मां सुभद्रा वगेरे राणीओ देशना पूर्ण थया पछी स्वस्थाने पाछा जाय छे तेनुं वर्णन छे. अने
सूत्र ३८ थी ४३मां गौतमस्वामी अने प्रभु वच्चे थयेला प्रश्नो अने उत्तरो छे. अहिं सूत्र - १ थी ३३ नो भावानुवाद छे.