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________________ डिसेम्बर २०१० आपी छे. ग्रन्थ रचायाना काळमां शब्दना उच्चारण अने अर्थनो निर्णय करवा माटे आजे उपलब्ध छे ते तुलनात्मक पद्धति अस्तित्वमां न हती. आ माटे बहुधा पूर्वपरम्परानो आधार लेवामां आवतो हतो. सम्पादक पण्डितजी नोंधे छे के सङ्ग्रहकारे चुक्कड अने बोक्कड अवा बे शब्दो ‘बोकडा' माटे नोंध्या छे तेने सरखाववा माटे नव्यभाषा गुजरातीमां प्रचलित 'बोकडो' शब्दनी तुलनानी सवलत होत तो सङ्ग्रहकारे चुक्कड शब्द न आप्यो होत. आ सङ्ग्रहमां ब अने व बंनेने बदले च लखायानां घणां दृष्टान्तो छे ते तरफ पण्डितजी आ ग्रन्थना अभ्यासीओनुं ध्यान दोरे छे.१ । बीजुं, पण्डितजी जणावे छे तेम मूळ गाथाओमां धातुओनो सङ्ग्रह नथी कर्यो ते ठीक ज थयुं छे, परन्तु वृत्तिमां धातुओनो सङ्ग्रह कर्यो छे त्यां पण तेम नहीं करतां, धातुओने - व्याकरणमा आप्या होवाथी अहीं तेनुं पुनरावर्तन कर्यु नथी तेवू लखी दईने ग्रन्थY कद घटाडी शकायुं होत. सङ्ग्रहकारे संस्कृतशब्दोने मळता आवता होय तेवा घणाबधा शब्दोने देश्यशब्दो तरीके नोंध्या छे. उ.त. सङ्ग्रहकार आचार्यश्री जणावे छेके 'परिरम्भ' अर्थनो 'अवॉड' धातु, पूर्वसूरिओओ व्याकरणमां नहीं नोंघेल होवाथी पोते पण तेनुं अनुसरण करीने धातुने व्याकरणमां नोंघेल नथी.. सम्पादक पण्डितजी जणावे छे के जो आ रीते ज पूर्वसूरिओने अनुसरवा, होय तो पछी आवो अनुक्रमयुक्त देशीसङ्ग्रह शा माटे बनाव्यो? पूर्वसूरिओमांथी कोईओ आवो सङ्ग्रह क्या बनाव्यो छे ? देश्य शब्दो घणा प्राचीनकाळथी पारम्परिक रीते उतरी आवता शब्दो छे. आजे आवा शब्दोमां मूळधातु अने प्रत्ययने घणुंखरूं शोधी शकाता होता नथी ते खरं, पण जो तुलना करीने आवा शब्दोनां मूळनी आगाही करी शकाती होय तो करवी जोइओ तेम सम्पादकश्री पण्डितजी- कहेवू छे. उदाहरण आपतां ते कहे छेके ६७५ मी गाथामां 'राहु'ना पर्यायरूपे आपेलो विहुंडुअ शब्द संस्कृत शब्द विधुन्तुद साथे अर्थनी बाबतमां बराबर समानतावाळो छे. ध्वनिरूपे बदली गयेलो आ शब्द संस्कृत शब्दना मूळनो छे. आ प्रकारना घणा शब्दो आ १. वास्तवमां ब नो व ने तेनो च थवो ए लेखनदोष समजीने बुक्कड पाठ ज मान्य राखवो जोईए. सं.
SR No.229586
Book TitleHemchandracharya no Deshi Shabdasangraha Ek Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantibhai Acharya
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages21
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size115 KB
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