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अज्ञातकर्तृक प्रश्नोत्तरवाक्यरत्नसंग्रहः
सं. साध्वी चारुशीलाश्री
परम पूज्य आचार्य विजयशीलचन्द्रसूरिजी पासेथी मळेली त्रण पत्रनी आ प्रश्नोत्तरवाक्यरत्नसङ्ग्रहनी हस्तप्रतिनी झेरोक्ष श्री मुनि भक्तिविजयजीना सङ्ग्रहनी (भावनगर, आत्मानन्द सभा) छे.
प्रान्ते 'सं १९५९' लेखन संवतनी नोंध मले छे.
दूंका छतां मार्मिक अने सरल आ प्रश्नोत्तर बोधदायक छे.
अथ प्रश्नोत्तरवाक्यरत्नसंग्रहः ॥
॥ प्रश्न० ॥ जगतमां ग्राह्य शुं छे ॥ ?
॥ उत्तर । गुरुवाक्य ॥
प्र० ॥ त्याज्य शुं ॥ ?
उ० ॥ संसार कार्य० ॥
प्र० ॥ गुरु कोण ॥ ?
उ० ॥ विज्ञाततत्त्व ॥ तथा ॥ जीवदयातत्पर होय ते ॥
प्र० ॥ उत्तम जनने शीघ्र कर्तव्य शुं छे ॥ ?
उ० ॥ संसारवृद्धिना कार्यनुं छेदन ॥
प्र० ॥ मोक्षतरुबीज कयुं ॥ ?
उ० ॥ सक्रिय सम्यग्ज्ञान ॥
अनुसन्धान- ५९
प्र० ॥ जीवने परलोक जतां पाथेय शुं ॥ ?
उ० ॥ करेलुं धर्माराधन ॥
प्र० ॥ पवित्र जन कोण ॥ ?
उ० ॥ शुद्ध मनवालो | प्र० ॥ निद्रावान् कोण ॥ ? उ० ॥ [अ]विवेकीजन ॥