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श्री शांतिदास - विरचित
श्री गौतमस्वामी रास ( चौपाई ) ॥
- सं. विजयशीलचन्द्रसूरि
श्रमण भगवान महावीरना आद्य पट्टशिष्य गणधर श्री गौतमस्वामीनो प्रभाव वर्णवती एक वधु लघु-रचना अत्रे प्रस्तुत छे : गौतमस्वामी रास. तेना रचनार एक गृहस्थ - श्रावक छे, एम तेनी अंतिम कडीमांना "शांतिदास" एवा नामाचरणथी जणाय छे; अने ते ज आ रचनानी विशेषता छे. अत्यार सुधीमां प्रसिद्ध थयेल अने प्रचलित बनेल, गौतम गणधर विषयक रचनाओ साधुओ द्वारा ज रचायेली छे, ते संदर्भमां श्रावक रचित आ रचना खास ध्यानार्ह छे.
रास चौपाई - प्रकारनो छे. तेनी रचना सं. १७३२मां थयानुं अंतिम कडीमां निर्देशायुं होवाथी, तेना कर्ता शांतिदासनो सत्तासमय १८ मा शतकमां होवानुं सहेजे स्वीकारी शकाय. आधी वधु वीगतो माटे 'जैन गुर्जर कविओ' तथा मध्यकालीन साहित्यकोश जेवां साधनो तपासवां पडे.
आ रचना ६६ कडीमां पथरायेली छे. मंगलाचरण थया पछी, गोबरग्रामनुं परंपरागत रोते पण ट्रंकुं वर्णन, (४६) अने वसुभूति तथा पृथ्वी - ए विप्रदंपतीनो परिचय छे. (६) त्यारबाद, माता पृथ्वीए इन्द्रसभानुं स्वप्न जोयानी अने तेना फळ स्वरूपे 'इन्द्रभूति' पुत्रनी प्राप्तिनी वात, आ रचनामां ज, सर्वप्रथमवार जोवा मळे छे (७-९). पछीनी चार कडीओमां अति संक्षेपमा जन्मथी मांडी वादीविजेता तरीकेनी छाप पाम्या सुधीनी कथा प्रत्ये अंगुलिनिर्देश छे. (१०१३). पछी प्रभु वीरनुं आगमन, यज्ञारंभ, देवोनुं आगमन, वाद अने विजय माटे प्रयाण, मानत्याग अने संशयछेदनपूर्वक वीरस्वामीनुं शिष्यत्व, द्वादशांगीनुं सर्जन अने ज्ञानप्राप्ति, छेवटे निर्वाण (१४ - २६ ) नुं खूब ट्रंकमां ज वर्णन छे. आ बधामां कविनी प्रतिभानो कोई विशेष प्रभाव जणातो नथी.
आ पछीनी संपूर्ण रचनामां गौतमनुं नाम अने ध्यान केवुं महिमावंत छे, तेनुं लोकप्रिय अने लोकभोग्य वर्णन छे, जे जोया पछी, गौतमस्वामीनो प्रभाव वर्णववो ए ज कविनुं ध्येय होवानुं स्पष्ट थई जाय छे.
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