SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अप्रिल-२००७ राग गाथा सातमी पूजा विविध प्रकारनां फूलनी आंगीनो अधिकार कह्यो संपूर्णम् ॥७॥ हवें आठमी पूजा चूर्णनी राग केदारै तथा कमोद कल्याण कहे" छई - राग-केदारो तथा कमोद कल्याण ॥ घनसारादिक चूरणं मनोहर पावन गंध ।। जिनपति अंगसु पूजतां जिनपद करइ भवि बंध ॥१॥ घनसार कहतां बैरास-चंदन्नादिक सुगंध वस्तुनुं सूक्ष्म चूरण कीधुं छई, ते चूर्णनो सुगंध, अतिसुंदर पवित्र गंध छइ जेहनो एहवो । जिनपतिजिनेन्द्र तेहने अंगई सुपूजतां कहतां भली प्रकारे पूजता थका स्यूं करई ? भवि प्राणी जिनपद नामकर्मनो बंध करई ॥१॥ अगर चूओ अति मरदीओ हेमवालुका समेत । दस दिसई गंधई वासतो पूजा जिनपद हेति ॥२॥ अगर उत्तम जातिनो, तथा चूओ प्रधान वस्तुनउं अति पवीत्र, तेणें शरीर मर्दन कीजई । ते माहि हेमवालुका क० बरास-कपूर मरदी-चोलीनेकपूरमांहि भेलोनै ते संघाते चूर्ण भेलवू ज । ते चूर्णसहित करी दस दिसई सुगंध वासइ तिम, सुगंधता परिमल वासतो थकी पूजा करई, जिनपद बांधवानो ए हेतु छै ॥२॥ (यद्यपि वासपूजा पहिलां कही छै ते वास चंदननो जाणवो) ए पूजानो गीत कानडे रागे कहै छै ॥ गीतं - राग कनडों ॥ पूरो रे माई चूरो रे माई जिनवर अंगई सार कपूर । सब सुख पूरण चूरण चरचित तनु भरि आणंद पूरो रे माई ॥जिन० १ ॥ अरे माई ! ते उत्तम संबोधने । हे भाई ! प्राणीउ ! मनोरथ पूरउ । ५८. चूर्णादिकनी - ब. । ५९. कहीस - ब. । ६०. घनसारादि चूरणां ब. । ६१. जिनपति अंगस्युं ब. । ६२. बरासादिक ब. । ६३. अगरनो ब. । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229517
Book TitleSakalchandragani krut Sattarbhedi Pooja Sastabak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDiptipragnashreeji
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages37
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size666 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy