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________________ अनुसन्धान ३९ गीतं ॥ राग - मालवी गोडी ।। कुसुम जाति आंगी मनि खंति, पंचवरणनी जाति रे । माहिं विविध कथीपा भांति रे ॥१॥ कुसुम० सातमी पूजा, गीत कहे छई । तिमज ए फूल विविध प्रकारनां लेइ कुसुमनी जातिनी आंगी रचीई । वली केवी ? मननें हर्षे करी-कीधी । पंचवर्णी फूलनी जातिथी आंगी रचीई छे । वली केहवी ? मांहिं जाणीइं छे विचि विचि विविध प्रकारना कथीपानी भांतइं केवी दीसे तेहवी आंगीनी शोभा दीसई छई जेहनी ॥१॥ पंचवरण अंगी प्रभु अंगई, रचयति ज्युं सुर रामा रे । ऋषभकूट चक्कि-नामा रे ॥२॥ कुसु० ॥ पंचवर्ण फूलनी आंगी प्रभु ते जिनेश्वरनें अंगई आंगी रचयति कहतां रचई केवी शोभे छई ? जिम सुररामा क० देवांगना-इंद्राणीओ, तेणें आंगी रची तिम रचे-नीपजावें । कुंण दृष्टांते सोभे छई ? जिम ऋषभकूट पर्वतनई विषई चक्री दिग्विजय करी पोतें नाम लिखें, तिम भविक-भवि प्राणी पणि मिथ्यात्वादिकनो जय करी चक्रीनी पर आंगीरचना मिसै ऋषभकूटें नामो लिखतो छ, तिम जिनेश्वरें दिग्विजयनी आंगी रचीइं छै ॥२॥ चंपकस्युं दमणो मन रमणो संझ-रागस्युं सामा रे । सूर्याभादि करइ जिनपूजा सकल सुरासुर गातई रे ॥३॥ चांपाना फूल साथें-दमणो मनने गमतो; दमणानां पत्र केवा ? मननई खुस्याल करई एहवां । जिम संध्या रागें मिलती श्यामा रात्रि शोभइ छई तिम वली आंगी शोभई छ । वली सूरयाभादिक सुर-देवतां जिम जिननी पूजा करइ तिम । वली कुंण पूज्यइं ? सकल क. समस्त सुरासुर गाँतई हुंतइं तिम ए कुसुम पूजा शोभई छई ॥३॥ ए सातमी पूजा विविध जाति पुष्पादिकई करी आंगी करवानी ॥७॥ ए पंचवरण कुसुम जातिनी आंगी रचना पूजा सातमी कही ते माटे हिवणां संप्रदाई विविध जातिनी आंगी करता दीसइ छड़ ॥७॥ ५७. गातें थकें - ब. । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229517
Book TitleSakalchandragani krut Sattarbhedi Pooja Sastabak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDiptipragnashreeji
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages37
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size666 KB
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