SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अप्रिल २००७ विविध सुगंधित चूरणवासं मोचति अंग ऊवंगिं । चउथी पूजा करति मनि जानति मेलावतिआं सुखसंगइ ॥३॥ सुणो० ॥ विविध क० अनेक प्रकारना सुगंध छै जेहनें विषई एहवा चूरणना वास प्रतई वासना करई । मोचति क० मूके छइ प्रभुने अंगै ते मस्तकादिके, उपांग ते करादिकने विषें, अंग- उपांगमांहि पण कयूं छइं । चोथीई पूजा वास पूजा करतां भविक - भव्यजन मनमां इंम जाणीइं जे श्रीवितरागनें मेलावतिआं कहतां मेलावो स्वर्गनो होई, मेलाववानुं हेतु ए चूर्ण छ । एहवी वासपूजानो भाव भावई । स्या प्रति ? सुखना संग प्रत पामई ॥३॥ इति श्री चौथीय सुंगंध-वास पूजा ॥४॥ हवें पांचमी फूलनी पूजा सादर आसाउरी रागें कहइ छ । राग आसाउरी सादो || मोगर लाल गुलाल मालती चंपक केतकी वेली । कुंद प्रियंगु नागवर जाती बोलसिरी शुचि मेली ॥ १ ॥ - मोगरानां फूल धोला, रक्त अशोकादिकनां फूल रातें रंगे, गुलाबना फूल, वली मालतीनां फूल, वली पीला फूल, चंपकैना फूल, केतकीनां फूल, वेलिपुष्प- जातिनां वेलना फूल, धोलां कुंद क० मचकुंद धोलें रंगई जातिना फूल, प्रियंगु - नीलो, अंग तें वृक्षविशेषनां वर-प्रधान जातिनां फूलनां, वृक्षनां फूल, जांबुनां फूल, तथा बोलसिरीनां फूल, ते सुचि - पवित्र, इत्यादिक फूलनी जाति मेलीनें- भेला करीनई ॥१॥ Jain Education International 49 भूमंडल जल मोर्केलई फूलई ते पणि शुद्ध अखंड | जिन पद पंकज जिउ हरि पूजई तिण परिं तिउं भवि मंडई ॥२॥ मो० । भूमंडल क० पृथवीनां ऊपनां फूल तथा जलनां ऊपनां फूल, पद्मद्रहादिक । ते सर्व एकठां घणां फूल, मोकला क० ते सर्व जातिनां घणां, ते वली शुद्ध वर्ण-गंध-रस-फरस सुठाममां ऊपनां, तेणें सहित सुध - खंडित नही, कीड़ें करड्या नही, भूँइ पड्या नहि, मलिन दुगंछनीय नही, एहवे फूलै २९. भांतिना सुगंधी छें ब. । ३०. कहीइं छई चंपाना ब । ३३. मोकले ब. । - ब । ३१. मोगर ब. । ३२. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229517
Book TitleSakalchandragani krut Sattarbhedi Pooja Sastabak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDiptipragnashreeji
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages37
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size666 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy