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________________ अनुसन्धान ३९ चोथीय पूजमां गंध-वासई करी जे जिन सुरपति अरचीआ ए । प्रभुतणई अंगि मनरंगि भरि पूजता आज ऊचाट सवि खरचीया ए ।।२।। चोथी पूजामां एहवा सुगंध वासई करी वासपूजा करतां थिकां सुगंध-परिमल देवी, नीमां (?) वस्तुइं । जे जिननइं सुरपति क० जे जिननें इंद्रई चोस४ि अरच्या-पूज्या छे श्रीसुमेरु पर्वत पंडुशिलाई, तिणि परि प्रभुनई अंगि मननें बहु प्रमोदपणे करी - घणो प्रमोद आंणीनई, मनरंगे भरी पूजतां थकां ए भाव आणइं:आज सघलाई कर्मना ऊचाट - उपायलो (?), वासपूजा करतां ते सर्व खरच्यां ने नांख्या-खपाव्यां । जे माटई वासपूजाथी धर्मनी वासना निर्मल थइ तिणे करी आर्तध्यानादिक विकल्प टलें ॥२॥ हवें ए पूजानुं गीत कहै छै गीतं- राग टौडी -रामगिरी ॥ सुणो जिनराज तव मेहनं, इंद्रादिक परि किम हम होवत तो भी तुह्म सब सहनं ॥१॥ सुणो० ॥ हे जिनराज ! ताहरु महन कहतां ताहरी पूजा ते भक्तिभाव, ताहरो महिमा, मनुष्य थकां ते इंद्रादिकनी परि हम कहतां अह्मथी किम होवत क० किम थाई- किम होइं ? जे भणी इंद्रादिकनें तो दिव्य शक्ति छे, अचिंत्यनीय छई । तो हि पणि तुह्मो सर्व सहो छौ । रंक-राजाइं समानदृष्टितुल्य छौ । ते माटें सर्व सहज्यौ ॥१॥ सतरभेदई द्रुपद रायकी कुमरी पूजति अंगि । जिम सूर्याभसुरादिक प्रभुनई पूजति तिम भवि मनरंगई ॥२॥ सुणो०॥ सुणो जिनराज ! मारी मेंनत । सतरभेदई पूज्या द्रुपदी-द्रुपदरायनी कुयरी जिम पूजई ते कही छे । तेणें सतरभेदी पूजाइं पूज्या ज्ञाताधर्मकथांग, तेहनें विषई । वली जिम सूर्याभौदिक देवता प्रभुनइं पूजई छई, जिम रायपसेणी सूत्रमाहे कह्यु छई, तिम मैंव्य प्राणिई मनरंगि कहतां मननें उछरंगेमन उच्छाहई करीनइं पूँजई छइ ॥२॥ २१. तोडी-ब । २२. महन्नं-ब । २३. पिण तुम्हो-ब. । २४. पूजा-ब. । २५. बेटी-ब. | २६. सूरिआभदेवता-ब. । २७. भवि प्राणि-ब. । २८. पूजवा-ब. । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229517
Book TitleSakalchandragani krut Sattarbhedi Pooja Sastabak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDiptipragnashreeji
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages37
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size666 KB
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