________________ अनुसंधान-२७ भुंइ पाला हीडिणउ दुहेलउ जर इंद्रि खिस्यउं खूता भूमि पर सूq परिभ्रमण/ चालवा माटे प्रवृत्त थर्बु दुर्लभ जरा-घडपण इन्द्रियो खसी जाय/इन्द्रियो-गात्र शिथिल थवा खूप्यो / गरकाव थर्बु ठंडी वाशे अनाथ स्वार्थ शिबिका-पालखी सिद्ध थशे. वाजूस्यइ अणाह स्वरथ सबिका सीझसी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org