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डिसेम्बर २०११
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किं वा दीसइ नलनरिंद, किं देवह राउ, भंति ऊपजइ जोअंता ए नरवइ समुदाउ, संघपति करतउ गामि गामि, जिणपूअ वारी, पहुतउ सेत्तुजि दियई दाण, रिद्धि गणइ असारी ॥३०॥ देखीअ हरखीअ संघवीअ रिसहेसर सामिअ, वंदइ पूजई थुणइं भावि मिलिआ सवि धामीअ, मंडिअ रेवइमंडणउ, यादवकुल सारो,
सीलिइं सुंदर नाणवंत, सिरिनेमकुमारो ॥३१॥ वस्तुः भणइ कुमरड भणइ कुमरड रिसह अवधारि,
कर जोडवि हुं विन्नवउ सामि पासि हुं काय न मागउं, जहिं कुलितइ नो लखउ तिहिं चक्कवई म देइ
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सिरि सित्तंजय गिरिसिहरि वरि पंखीअ करेज ॥३२॥ संघ सहित पहु पूज करी, राउ दाणु दीयंतो, वाजत गाजत चालियउ, हरिसहि उल्हसंतो, वीर जुहारी वउणथली, मंगलपुरि पासो,
दीवि अजाहरि कोडिनारि, पाटणइ जिण पासो ॥३३।। वस्तुः चडिअ भूपति चडिअ भूपति नाह सेत्तुंज्जि,
रिसहेसर पणमीअ करि नर[य]-तिरियोज(नि) दुक्ख वारइं, तह ऊजलगिरि नेमिजिण, काम कोह जो मोह वारइं, मंगलि पाटणइ वउणथलि दीव अज्जाहरि देव, कोडीयनारि जुहारि-करि, पाटणइ पहुतउ देव ॥३४॥ सानिध सासणदेवि तणइं, संघि कीधी यात्र, पाटिणि आवी नारि कहइं, घरि घरि इम वात, कीधा जं पुण जातु अम्हे, इह सामि पसाउ, प्रतपउ कोडि दियवालीयहं हेमसूरिसिउं राय ॥३५॥ कासी कोसल मगददेस, कोसंबी वच्छा, मरहठ मालव लाडदेस, सोरीपुर कच्छा, सिंधु सवालख कासमीर, कुरकुंति सइंभरि,