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अर्हं नमः ।
श्री
॥ हंसराजपोसाल धुलबन्ध ॥
अनुसन्धान ५० (२)
देसाख ॥ दूहा बन्ध ॥
॥ए ६०॥ राग वीर जिणेसर पय नमी, गुरूउ' गुणभण्डार, नयर निरुपम दीपतुं, जगि जाणीइ' गन्धार १ वासि वसई विवहारीया, पुरूषरयण परधान, धन सम्पत्ति धनद किरि५, लीलां इन्द्र समान २ तिहां जिनशासन गहगहइ, उत्सव करई अपार, सुगुरूवयण नितु संभलई, भरइं सुकृतभण्डार. ३ गुरू उपदेस हीइ धरई, करइ विमासण चिंति', पौषधशाल करावीइं, मनि अति आणई खंति ४
॥ राग - देसाख ॥ धुल' बन्ध |
खंति करी संधि मांडीयां काज, पौषधशाल बहु नीपजई १० ए, समरथ संघपति हंसराज चितवइ, ठाकुरसिंघ कुलमण्डणु ए ५ जाण सिरोमणि मानि दुरयोधन, दानि करण किरि अवतरिउ ए, हठि चडिउ जाणि कि रावण राउ, सन्त सरिसु ससि अभिनवु ए ६
॥ त्रूटक ॥ अभिनवु ससि अमिरत्तधारी ", अंगि सारी बुधि वसई, पौषद्धशाल कराविवा, गुणवन्त अणुदिण१२ उल्लसइ, पण काज जे मनि चितवइ ते अवर कोइ न जाणए श्रीसंघ कहइ संघपति जे पण अंगि आलस आणए आणए य आलस अंगि जइ एउ काज कवण समुद्धरइ, श्रीसंघ मनि आनन्द करवा हंस संघपति खंति करइ ७
एँ नमः ।
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॥ हवं राग कभी धु॥ नाम प्रमाणि चडाविवा काजि, पोसालपायुओ१४ परठीउ १५ ए, तेड्या कबाडीय१६ अनइ सिलाट १५, निश्चल काम मंडावीउं ए ८ धसमस१८ पणईं बइसारीइं ई ( इं ) ट, पीढनई १९ काठ कपावीइं ए, सिहर कादी २० यदि वारए आण, प्राण २१ करइ य पोसालसिउं ए ९