________________
June-2006
39
से गुणित करने पर ३९९० अर्थ होते हैं । इनके साथ शुद्ध दानदायक 'दद' के ७० अर्थ स्वतन्त्र रूप से सम्मिलित करने
पर कुल ४०६० अर्थ होते है । २५.५३५ - इस प्रकार 'नोदद' 'अनोदद', 'आनोदद' तथा 'ददादद' के
२१४७५ अर्थों के साथ 'दद' 'द' के ४०६० अर्थ मिलाने पर
कुल २५५३५ अर्थ हो जाते हैं । १० - सौख्यं पद के १० अर्थ हैं । प्रत्येक अर्थ को २५५७५ के साथ २,५५,३५० संयुक्त करने पर अर्थात् दश गुणित करने पर कुल अर्थ २,५५,३५०
अर्थ हो जाते हैं । २ - पश्चात् २,५५,३५० अर्थों को नञ् समास पूर्वक करने पर अर्थात् ५,१०,७०० सुख शब्द दुःखार्थ में परिणत हो जाता है । सौख्यं - असौख्यं
अर्थ होने पर द्विगुणित हो जाते हैं अत: कुल अर्थ ५,१०,७०० हो जाते हैं ।
इन अर्थों को काकूक्ति के अर्थ में ग्रहण करने पर द्विगुणित हो १०,२१,४०० जाने से १०,२१,४०० अर्थ हो जाते हैं ।। ६ - पुनः ग्रन्थकार ने शृङ्खला नाम प्रश्नोत्तर जाति भेद से राजा जानो
नोद दद दते ते असौ सौखी अग् पदार्थ से ६ अर्थ किये हैं। १०,२१,४०६ १,००० - यहां कवि ने निर्देश किया है कि प्रारम्भ में जो राजानो शब्द
के १००० (वस्तुत: १००४ अर्थ हैं) अर्थ इसमें सम्मिलित किये
जायँ । १०,२२,४०६ १ .. अन्त में एक अर्थ अकबर का किया है वह इस प्रकार है :
राजा के र अ अज अ आ खण्ड कर र .. श्री (पंक्तिरथ न्याय से) अ - अ अज - क (ब्रह्म का पर्याय)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org