________________ विवाह ओछव कीधो रे मोटे मंडाणे जश लीधो रे निरागपणे वितराग रे भोगवता पुन्य भाग रे // 9 // पद्मावति सुत जायो रे मघवा नाम गवायो रे सुतनी सुता पुण्यवंति रे रोहिणी अशोक विलसंति रे // 10 // जन्मथी वरस अढार लक्ष रे कर्म फल जांणि नांणे प्रत्यक्ष रे जया-वसुपूज्य समझावी रे संयम दिलमांहे लावि रे // 11 // ढाल // [9] ( वीर वखांणि रांणि चेलणाजी - ए देशी // ) पंचम स्वर्गथी आवीयाजी देव लोकांतिक जेह वीनती करे वासुपूज्यनें जी संयम लहो गुंण गेह // 1 // वसुपूज्यनंदन वंदिइंजी // दांन संवच्छर देइनेंजी / खटसय नरवर साथ अमावासिं फागुणनी भलीजी दीक्षा लीइं जगनाथ // 2 // व० / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org