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अप्रिल-२००७
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आ पूजा-उपर रचायेला बे स्तबक-टबार्थ जोवामां आव्या छे, अने ते बनेनी एक एक हाथपोथी प्राप्त थई छे. 'अ.' संज्ञक प्रतिगत टबार्थना कर्ता पं. सुखसागर गणि छे; तेमणे वि.सं. १८००मां स्तम्भतीर्थ (खम्भात) मां टबो लख्यो छे. तेनां पत्र १० छे. ते प्रति कच्छ-नवावास गामना उपाश्रयमा ग्रन्थसंग्रहनी प्रति परथी थयेल जेरोक्स प्रतिरूप छे.
बीजी 'ब-' संज्ञक प्रतिगत टबार्थना कर्ता पं. जीवविजय गणि छे. तेमणे सं. १८५४ मां आणंदपुरमां आ टबार्थ लखेल छे. पत्र १२ छे. आ प्रति कच्छ-कोडायना जैन महाजन भण्डारनी क्र. ८१/९१४ नी नकलरूप प्रति छे.
आ बन्ने टबार्थोनुं संकलन करीने प्रस्तुत वाचना तैयार थई छे. ज्या ब. प्रति जुदी पडी होय त्यां पादनोंध रूपे तेना पाठांश नोंधी मूकेल छे, अने उपर अ. प्रतिना पाठ लीधेल छे.
आ टबार्थना आधारे तथा आ बेउ प्रतिओमां आलेखायेल पूजाना मूळ पाठोमां ज्यां ज्यां जे काई विशेषता के तफावत जणाय छे, तेनी नोंध आ प्रमाणे छे :
१. प्रचलित वाचनामां, अन्य पूजाओना आरम्भमां जेम 'दूहा' होय छे तेम, अहीं 'वस्तु' छन्द जोवा मळे छे. १७ पूजा, तो १७ वस्तु छन्द. अमां जे ते पूजाना वर्ण्य विषय- अपभ्रंश भाषामां, पण सघन, छटादार अने अर्थगम्भीर वर्णन थयुं छे. आ वस्तु छन्दो, अहीं आपवामां आवेल सम्पादनमा छे नहि. अर्थात् टबार्थनी बन्ने प्रतिओमां आ छन्दो पण नथी, तेना विवरण रूप टबो पण नथी, के छन्दो विषे कोई नोंध-निर्देश पण नथी.
ए ज रीते, पूजाओना अन्ते काव्य-मन्त्रनो पाठ थाय छे. अहीं १७ पूजानां १७ काव्यो, प्रचलित वाचनामां प्राप्त छे. काव्यो संस्कृतमा छे, अने मुख्यत्वे उपजाति वृत्तमां छे. रचना पण शुद्ध, मधुर, प्रासादिक छे. ते काव्यो के ते परनो टबो, बन्ने प्रतोमा अदृश्य छे.
आम केम हशे ? पूजानी वर्तमाने प्रचलित-मुद्रित वाचना पण मूळे तो कोई हाथपोथीना आधारे ज प्रचार पामी होय छे. तो ते (मुद्रित)
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