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फेब्रुआरी २०११ डूबतां बचq होय तो कर्तव्यरुपी नौका फक्त तमने बचावी शकशे. दरियो पृथ्वी पर फरी वळतो नथी ने वादळाओ वरसाद आपे छे ते सघळु ते दरेक पोतपोतानुं कर्तव्य बजाववाथी कदी पाछळ पडतां नथी तेने लीधे ज छे. पृथ्वी अमने अम अध्धर ऊभी रही शके छे, ने उपरथी के तळेथी कोइपण स्थळेथी तेने टेको न होवा छतां पण ते पडवा पामती नथी ते पण तेना कर्तव्यने लीधे छे. सूर्य तथा चन्द्र बन्ने मनुष्यमात्रना लाभार्थे आकाशमां दररोज ऊगे छे ते पण तेना कर्तव्यने लीधे ज छे. कर्तव्य ओ ज माणसना ओक साचा मित्र समान छे, ने लाचारने अेक आश्रयदाता समान छे. जे पोतानुं कर्तव्य करवामां साचो छे तेने कदी नुकशान थवा पामतुं नथी. कर्तव्य ए ज माणसने नरकमां पडतां बचावी ले छे ने स्वर्गमां तेडी जाय छे.
डेकन कॉलेजना विद्यार्थीओ ! हुं म्हाएं भाषण हवे आटलेथी पूरुं करूं छु. हुं पोते सारी रीते समजुं छु के म्हाएं आ भाषण घणीक बाबतमां अपूर्ण छे. विशेषे करीने हेमचन्द्रे नवा नवा पुस्तको लखी आ देशनी विद्यामां जे वधारो को छे ते सम्बन्धे बोलवानो म्हारो बहु विचार हतो, पण तेम करवू हमणां माराथी बनी शके ओम नथी. वळी संस्कृतभाषाना अभ्यासीओ ते सघर्छ पोतानी मेळे जाणी शके ओम छे. हेमचन्द्रने तेना पोताना ज बोलमां तमारी हजुर रजू करवानुं मने वधारे ठीक लाग्युं छे. अने हुं आशा राखं छं के हेमचन्द्र विषे में जे केटलीक वातो तमने जणावी छे ते परथी तमारी खात्री थई हशे के हेमचन्द्र ओक मोटा आचार्य हता. दुनिया पर अथवा दुनियामांनी कांइपण चीज पर तेने रतिभार पण मोह हतो नहि. ने दुनिया मांहेलो सर्व मोह क्षणभङ्गर छे ओम जाणता हता. वळी ते अेक साची वात नक्की समज्या हता के मनुष्य तथा ईश्वर विषे बीजी घणीक वात आपणे जाणतां नहि होइओ ओ जुदी वात छे; पण आटलुं तो नक्की ज छे के माणसनुं कर्तव्य ओ माणसने खरे रस्ते दोरवामां अंक प्रकाशित दीवा समान छे. आपणी उपरना आकाशमां शुं छे ते आपणे जाणी शकतां न होइओ तथा मनुष्यजातनुं भविष्य शुं छे ते आपणने जडी शक्युं न होय; तथापि कर्तव्यरूपी दीवो आपणा भविष्यनां दरेक पगलां पर अजवाळु नाखशे ओ वातनुं ज्ञान जे तेणे आप्युं छे ते कंइ थोडं लाभकारक नथी. जगतना मनुष्यो जुदा जुदा गमे