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फेब्रुअरी २०११
नहि. पहेली आज्ञामां जे हिंसा न करवा विषे कहेलुं छे तेमां मनुष्य तथा पशुप्राणी उपरान्त जेमां जीव नहि ओवी चीजोनो (?) पण समावेश थइ जाय छे. जेवी रीते कोइ मनुष्य तथा पशुनी हिंसा करवी ओ खोटुं छे. तेवी ज रीते ओक फूलनी हिंसा करवी अ पण खोटुं छे. सत्य बोलवुं ओ वळी प्रीति उपजे तेवुं बोलवुं. जे सत्य बोलवाथी सांभळनारने हानि थाय ते सत्य कंइ सत्य कहेवाय ज नहि. व्यभिचार न करवो ते मन, वचन अथवा काया कोईपण तरेहथी करवो नहि. पांचमी आज्ञानो अर्थ ओम लागे छे के अतिशय वांच्छना राखवी नहि. दरेक सारा माणसे आ जिंदगी पर बहु भाव पण राखवो नहि. सुख मळे तेथी हर्ष पण पामवो नहि ने दुःख पडे तेनो बळापो पण राखवो नहि. टूंकमां कहीओ तो मनुष्यदेहना मळेला आ अवतारनो कोइ तरेहथी दुरुपयोग करवो नहि.
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पहेला प्रकरणमां जणावेली बाबतो विषे पछीनां त्रण प्रकरणमां मात्र विस्तार ज करवामां आव्यो छे. ओम छतां कोण जाणे शुं कारणे अ सघळं विवेचन चलाववा पहेलां ओक भक्तिमान जैने पोतानी जिंदगीमां शी रीते वर्तवुं तेनुं ज बधुं वर्णन हेमचन्द्रे आप्युं छे. ओ सघळं वर्णन तेणे ओक लांबा वाक्यमां ज आपी दीधुं छे. जे हुं तो कटके कटके ज आपीश. दरेक भक्तिमान जैन पैसो प्राप्त करवो ते प्रामाणिकपणे प्राप्त करवो. सारा माणसोनां कामोनी तेणे प्रशंसा करवी. ज्यारे ते लग्न करवा इच्छतो होय त्यारे तेणे तपासवुं के ते स्त्री पोतानी ज पदवीनी होय तथा पोताना ज जेवा स्वभावनी होय, पण पोताना गोत्रनी न होय. तेणे पापथी ब्हीता रहेवुं. ज्यां ते रहेतो होय त्यां चालता रिवाजने तेणे अनुसरवुं. तेणे कोइ माणसनुं भूडुं बोलवु नहि. ओने लगतुं हेमचन्द्रना आ बोधवचनना जेवुं ज वचन याहुदी धर्मपुस्तकोमां पण जोवामां आवे छे. दरेक जैने पोतानुं रहेठाण संभाळथी पसंद करवुं रहेठाणनुं स्थळ जेम बहु आगळ पडती जगाओ न होवुं जोइओ, तेम बहु गुप्त जगाओ पण न होवुं जोइओ. अने पडोस सारी होवी जोइओ विशेषे करीने से संभाळवुं के घरमां आववानो तेमज घरमांथी बहार जवानो मार्ग ओक ज होवो जोइओ. आ बोधवचनना सम्बन्धमां अक जाणवा जेवुं ओ छे के हुं ज्यारे पाटणमां गयो त्यारे जोयुं तो सर्वे घरोनी बांधणी अ ज प्रमाणेनी हती. मने ओम लागे छे के घरमां जनार-आवनार पर बराबर अंकुश रहे तेटला माटे ज ओवो नियम