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फेब्रुअरी २०११
आपी के तेनो अन्तसमय पण घणो दूर नथी. पोतानुं मृत्यु थया पछी छ मास वीत्या पछी तेनो पण देह पडशे. ने तेने कांइ छोकरा छैयां न होवाथी तेणे पोतानी जीवतक्रिया पोताना हाथे ज करी देवी. हेमचन्द्रनुं मृत्यु थतां राजाओ सघळो दरबारी शोक तेना मानमां पाळ्यो. ने पोताना आयुषनो रहेल अवशेष भाग शोकमां व्यतीत कर्यो. हेमचन्द्रे जे दिवसे तेनुं मृत्यु थवानुं भविष्य भाख्यं हतुं ते ज दिवसे कुमारपाळ राजानो देह पड्यो.
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कुमारपाळ राजाना अमलमां अ रीते जोके जैनोनुं प्राबल्य वध्युं खरुं, पण कुमारपाळ राजानी पछी तेनी गादी पर जे राजा बेठो तेना अमलमां ब्राह्मणोओ एकदम जैनोनुं जोर तोडी नांख्युं. ने दरबारमां ब्राह्मणोनुं जोर वधी गयुं. हेमचन्द्रना शिष्योने मारी नांखवामां आव्या ने हेमचन्द्रनी दीर्घबुद्धिथी गुजरातमां जैनोनुं अक मोटुं राज्य स्थापवानो वखत जे नजदीक आवतो जणायो हतो ते सघळं स्वप्नवत् थइ गयुं.
अत्यार सुधीमां हुं जे कंइ कही गयो धुं ते हेमचन्द्रनी जिंदगी विषे हर्तुं ने हवे हेमचन्द्रे बनावेला 'योगशास्त्र' नामना नामीचा पुस्तक विषे बोलवा मांगुं छं. हेमचन्द्रे बनावेला आ योगशास्त्र नामना पुस्तकने बे भागमां वहेंची नाखवामां आव्युं छे. ने तेनां सघळां मळीने बार प्रकरण छे. पहेला विभागमां चार प्रकरण छे ने ते ओटलां लांबा छे के तेमां ज पुस्तकनो पोणो भाग आवी जाय छे. ओवी ज रीते पहेला विभागनी बाबतो पर टीका हेमचन्द्रे पोते क छे, ते टीका पण बीजा विभागमांना प्रकरणो परनी टीका करतां बहु लांबी छे. अ पहेला चार प्रकरणोनुं ओक जुदुं पुस्तक बनाववानो हेमचन्द्रनो विचार हशे ओम लागे छे. ने अत्रे हुं जे विवेचन करवा धारुं छं ते ओ पहेला चार प्रकरणो सम्बन्धे ज छे. आस्थावाळा दरेक जैने शुं करवुं ने शुं नहि तेने लगतो बोध सादी अने समजी शकाय तेवी भाषामां से पहेला चार प्रकरणमां आपवामां आव्यो छे. पण तेमां अवं प्रौढपणुं समायेलुं छे के ओ पुस्तक वांचतां सर्वे कोइने असर था विना रहे नहि. हजी पण अ पुस्तक जैन देवालयोमां आस्थाथी वांचवामां आवे छे. अ पुस्तक कुमारपाळ राजाने माटे ज तैयार करवामां आव्युं हतुं ঔ वात अ पुस्तकमांना मूळ लखाणने छेडे अने टीकाने छेडे ते सम्बन्धे जे श्लोक लखवामां आव्यो छे ते परथी जणाइ आवे छे.