________________ 134 March-2002 जोती गुरुमुखचंद पामती परमाणंद ग० चतुर चिकोरी गोरडीजी // 8 // सुरवधु नरवधु कोडि मिली मिली सरखी जोडि ग० गावै जिनशासन धणीजी // 9 // इति सुधर्मगणधर भास // राजगृही रलियामणी जिहां गुणशिलचैत्य सुठाम साजन मोरी हे आवो सवाई गुरु भेटवा कांई मेटवा कर्म कठोर सा० मुनिगण तारामां चंदज्यु आव्या गणि गौतमस्वामि सा० // 1|| पांचै इंद्रिय वसि करै वलि पालै पंच आचार सा० सुमति गुपति धोरी पर वहै पंच महाव्रत भार सा० // 2 // नववाडि ब्रह्म धरै सदा वलि परिहरै च्यार कषाय सा० लबधि अठावीसनो धणि जयो आठ प्रभावकराय सा० // 3 // पहिरणि पीत पटोलडी उपरि नवरंगो घाट सा० कुंकुमघोलसुं साथिओ करि अक्षत पूरि सुघाट सा० // 4 // ललिललि कीजै लुंछणा लेई रजत कनकनां फूल सा० करो जिनसासन परभावना वजडावो मंगलतूर सा० // 5 // इति गौतम गणधर भास // संपर्कसूत्र : c/o. नलिन के. शाह हेमंत इलेक्ट्रीक्स गांधी रोड, अमदावाद-३८०००१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org