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जून २००८
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. भगवतीसूत्रमां, चाउज्जामथी आ व्रतोने भिन्न देखाडवा तेनो निर्देश पंचजाम-एवो कर्यो छे. आ सूत्रना २५मा शतकना ३जा उद्देशामां पांच संयमोनुं वर्णन करती पांच गाथाओ छे. तेमांनी प्रथम बे गाथाओ अहीं आपणा अभ्यास माटे प्रस्तुत छे. प्रथम संयम ते सामायिक संयम छे. आचाराङ्ग सूत्र प्रमाणे तेनी व्याख्या सर्व सावद्य योगोथी विरमवू-एवी छे, अने आवं सामायिक भगवान महावीरे कर्यु हतुं - "सव्वं मे अकरणिज्जं पावकम्मं ति कट्ट साभाइयं चरित्तं पटिवज्जइ ॥"
भगवती सूत्रनी उपरोक्त पांच गाथामांथी प्रथम गाथामां कां छे के "सामयिक पोते ज अनुत्तर चाउज्जाम धर्म छे."१ हवे जो आवी वात होय तो अहीं एवं भासे के महावीरे दीक्षा ग्रहण करती वखते चाउज्जाम धर्म स्वीकार्यो हशे. जो के कोई पण श्वेताम्बर टीकाकारे आq विधान कर्यु नथी.
बीजी गाथामां छेदोपस्थापन संयमनी व्याख्या करी छे. अहीं एम कर्दा छे के छेदोपस्थापन ते पंचजाम अर्थात पञ्चमहाव्रतवाळा संयम साथे सादृश्य धरावे छे.२
दिगम्बर परम्परामां, जो के, चाउज्जाम शब्द ज नथी, छतां सामायिक अने छेदोपस्थापन पदो प्राचीन दिगम्बर शास्त्र - आचार्य वट्टकेर रचित मूलाचारमा छे. तेमां कां छे के सर्व सावद्ययोगोथी विरतिरूप सामायिक संयमनो, क्यारेक अतिचार लागे तो तेना प्रतिक्रमण साथे, उपदेश २४मांथी २२ तीर्थकरोए आप्यो छे. ज्यारे ऋषभदेव अने महावीर नामना प्रथम अने अन्तिम तीर्थङ्करोए तो नित्य प्रतिक्रमण साथे छेदोपस्थापन चारित्रनो उपदेश आप्यो छे. ३
श्वेताम्बर पाठोमां सामायिक शब्दनुं चाउज्जाम साथे साम्य कई रीते बताव्युं छे ते तो एक रहस्य ज रहे छे. वली, कोई पण टीकाकारो पोतानी टीकामां आना विशे कोई खुलासो आपता नथी. जो के, चाउज्जाम शब्द तो बीजी जैन १. सामाइयंमि ३ कए चाउज्जामं अणुत्तरं धम्म ।
तिविहेण फासयंतो सामाइयसंजमो स खलु ।। २. छेत्तूण य परिपायं पोराणं जो ठवेइ अप्पाणं ।
धम्ममि पंचनामे छेओवट्ठावणो स खलु ॥ ३. मूलाचार - ५३५ गाथा ।
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