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________________ १४ अनुसन्धान ५० (२) सज्यन असा कीजिये, जैसा सोपारी संग आप कराये टूकडा, पण मुख आणे रंग सज्यन असा कीजिये, जेसा लांबा ने लडाक वरशाला की भीत ज्यु, पडे दमाक दमाक सज्यन असा कीजिये, जेसा फूल गुलाब देषतां नयना ठरे, ओर गुण नहि हिसाब सज्यन असा कीजिये, जैसा कुवे का कोस पगसुं पाछो ठेलीओ, तो य नही आणे रोष सज्यन असा कीजिये, जेसा आकां दूध अवगुण उपर गुण करे, ते सज्यन कुल सुध सोनो वायो न नीपने, मोती न लागे डाल रूपो धारो ना मीले, भूलो फिरे संसार माया तो माणी भली, ताणी भली कमान विद्या तो वापरी भली, वहेता भला नीर वाण पांच पखेरूं सात सुवरा, नव तीतर दस मोर कुंवर रीसालु के मालीये, चोरी ग(क)र गया चोर काल मृग उजाडका, सज्यन पाछो फोर सोवन की शीग मढावसुं, रूपाकी गले दोर मति श्रुति निरमल नहि, नहि अवध मन ग्यान केवल पण मुझ में नहिं, कीम उत्तर सुजाण - कीम कहूं उत्तर सुझाण ओक आधार श्री जीन वचनका, अवर न दूसरो कोय अपक्षापक्ष विचार के, देशुं उत्तर जोय कागल हम दीनो सही, ओर न दीयो जाय भांगा भेद विचारजो, लीजो मन समजाय संगत असी कीजिये, अपना वरण बचाय मोतीका मोती रहे, भूख हंसकी जाय अंतर कपटी मुख रसि, नाम प्रीत को लेय नालत हे उस मित्रकुं, दगा दोस्त कुं देय
SR No.229337
Book TitleGudartha Dohao ane Anya Samagri Paramparagat Lokvarsanu Jatan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjan Rajyaguru
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages20
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size110 KB
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