SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ March-2002 'छप्पय' छंद कविने केवो सिद्ध हशे ते आवां कवित्त वांचतां समजी शकाय छे. याद रहे के कवि, प्रेमानंद, शामळभट्ट अने अखाना पूर्वकालीन छे. ढाल २३(२२)थी समकित प्राप्त करनार श्रावकनी नित्यकरणीनुं विस्तृत वर्णन प्रारंभाय छे. छ आवश्यकनां नाम बाद रात्रिभोजन त्यजवा अंगे वेद, पुराण, आगम, गीताना तथा मार्कडेय ऋषिना हवाला आपवापूर्वक रात्रिभोजनथी थतां दोषो-रोगो विशे वात समजावे छे. प्रसंगोपात्त, सात वखत क्यारे/क्यां पाणी न पीयूँ तेनी शीख लखी छे (234-37). त्यारबाद जिनपूजा आदि कृत्यो करवानां कहे छे. ज्ञान अंगे पुस्तकलेखन उपर भार आपीने सात क्षेत्रे धन वापरवानुं सूचन आपे छे. तेना प्रसंगे धन संचय करी राखनार कृपण थवाने बदले दान आफ्वानो आग्रह करतां कवि दाननो महिमा अने कृपणतानी लघुता पण वर्णवे छे (ढाल 24(23)- तथा तेना दूहा). 260 क्र.नो दूहो "ल्यख्यमी मंदिरमाहां छतां, मागण गया नीरास / तेहनी जनुनी भारि मुई, ऊदरी वा दस मास // " वांचतां ज, सौराष्ट्रना लोकसाहित्यमां बोलातो दूहो "जेनो वेरी घाथी पाछो गयो, अने मागण गयो नीराश, एनी जननी भारे मरी, एने उपाड्यो नव मास" याद आवी जाय छे. क्र. 261 मांनी 'गाहा' अशुद्धप्राय छे. ढाल २५(२४)मां सम्यक्त्वनी आवश्यकता अने महिमा वर्णवी क्षायिकसम्यक्त्वनुं स्वरूप समजाव्यु छे. ढाल २६-२७(२५-२६)मां जीवे संसारमा करेली रझळपाटनुं वर्णन अने तेमां महाभाग्योदये मनुष्यजन्म तेमज सम्यक्त्व मळ्यां होई तेने वेडफी न देवानी शीख अपाई छे. ढाल २८(२७)थी ढाल 35(34) सुधी सम्यक्त्वना पांच अतिचारो विस्तृत स्वरूप दर्शावेल छे. अहीं प्रसंगतः प्रतिमानिषेधक मतनो उल्लेख करीने तेमनी समक्ष प्रतिमानी सिद्धि करी आपनारां आगम-ग्रंथोना संदर्भ पेश करवामां आव्या छे (ढाल 28(27)). बन्ने पक्षे सामसामे करेली दलीलो-खंडनमंडन पण विस्तारथी जोवा मळे छे. तेमां एक तबक्के "मूर्ति पथ्थररूप जड होवाथी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229324
Book TitleVrat Vichar Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size999 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy