________________ 33 अनुसंधान-१९ च्यार वली टालुं मीथ्यात, तेहनो तुझ भाषु अवदात / ते तुं श्रवणे सूणजे वात, जिम नाहासइ पूर्वनां पांत // 12|| लोकीक गुरु निं लोकीक देव, मांनी निं नव्य कीजइ सेव / श्रीदेव गुरु लोकोतर कहीइ, मांनी ईछी(?) तीहा नवि जईइ // 13 // ए च्यारे मीथ्यात ज होय, मीथ्याधर्म म करयु कोय / मीथ्याधर्म करंतां वली, पूण्य सकल जाइ परजली // 14 // गलीइं धोयु जिम कागडो, किम ऊजल होसइ बापडो / तिम जिउं मीथ्या करतो धर्म, कहइ किम धोसइ आठइ कर्म // 15 // मीथ्याधर्म करइ जे जाण्य, ते नर भमसइ च्यारे खांण्य / मीथ्याधर्म तु स्याहानि करइ, जईन धर्म विन को नवि तरइ // 16 // दूहा // तरइ नही नर जाणजे, करतो मीथ्याधर्म / तीहा आगार ज मोकला, सूणजे तेहनो मर्म // 17 // __ढाल 22 (21) चोपई // छइ छीडीनी जइणा कहुं, रायाभीओगेणुं पणि लहु / गु(ग)णाभिओगेणुं आगार, बलाभीओगेणु ते सार // 18 // देवीआभीओगेणुं जेह, गुरुनीगिहेणुं कहीइ तेह / वतीकंता छठी ते सार, च्यार वली कहीइ आगार // 19 // अनथणाभोगेणुं मांन्य, सहइसागारेणुं सूणिं कान्य / मोहोतरागारेणुं दाखीइ, वतीआगारेणुं भाखीइ // 20 // ए च्यारइ भाख्या आगार, शाहास्त्रमाहिं छइ घणो विचार / समझइ ते नर पंडीत का, नवि समझइ ते मुरिख लघु // 21 // कवीत // प्रथम मुरिख मंडी दोय वची मथो घलइ, मुरिख सोय परमाण, पंथि एकलो चलइ / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org