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September-2003
नमस्कार माहात्म्य अने एक छे शक्रस्तव, आ त्रणे रचनाओमां भाषासाम्य, पदार्थ-विवेचनासाम्य आंखे उडीने वळगे एवं छे. आ बंने रचना स्वतन्त्र तथा नमस्कार स्वाध्याय भाग-२ संस्कृत विभागमां मुद्रित छे. शक्रस्तव- 'जिनो दाता जिनो भोक्ता' नमस्कार माहात्म्यना प्रारम्भमां ज छे. सिद्धसेनाधिनाथ' शब्दनो प्रयोग शक्रस्तवनी जेम नमस्कार महात्म्यना प्रारम्भमां ज छे. सिद्धमातृकामां श्लोक ५१ थी ५५ ने शक्रस्तवना आलापक साथे सरखावी शकाय. आ त्रणे रचनाना कर्ता सिद्धसेन एक ज छे, ए वात ऊंडाणथी त्रणे रचनानो अभ्यास करवाथी दीवा जेवू स्पष्ट समजाशे. नमस्कार महात्म्यना अन्तिम श्लोकोमां आ कर्ता, एनी रचना क्यां थई तेनो स्पष्ट उल्लेख करे छे.
"सिद्धसेनसरस्वत्या सरस्वत्यापगातटे ।।
श्रीसिद्धचक्रमाहात्म्यं गीतं श्रीसिद्धपत्तने ॥" नमस्कार माहात्म्यनी रचना सरस्वतीनदीना किनारे सिद्धपत्तन एटले सिद्धपुर पाटणमां थई छे. बस आ सिवाय स्थळ-काळनो कोई उल्लेख आ रचनामां नथी, के नथी गुरुपरंपरानो उल्लेख. पण आ आचार्य सिद्धसेन नमस्कार मन्त्रना महान् साधक छे. मन्त्रमर्मज्ञ छे, ए वात निःशंक छे.
हवे आ रचनाकार सिद्धसेन दिवाकर छे, के सिद्धर्षि छे, के प्रवचन सारोद्धार टीकाना कर्ता आचार्य सिद्धसेन छे, के तत्त्वार्थ टीकाना कर्ता सिद्धसेन छे ए प्रश्न छे. के आ बधाथी अलग कोई अज्ञात साधक आचार्य सिद्धसेन छे जे १३मी सदीमां होय ?
मने पोताने तो आ त्रणे रचना प्रायः उपमितिभवप्रपंचाना कर्ता सिद्धर्षिनी होय तेम लागे छे. उपमितिना श्लोको साथे आ श्लोकोने सरखावी शकाय. श्रीचन्द्र केवलीचरित्र .पण एज सिद्धर्षिनी रचना गणाय छे.
'अहँ-अक्षरतत्त्वस्तव' धर्मोपदेशमालाप्रकरण (जयसिंहसूरिकृत, रचना संवत् ९१५ सिंघी जैन ग्रन्थमाला अने नमस्कार स्वाध्याय भा.-२ पत्र २१ थी २४) एनी साथे पण आ मातृका प्रकरणनी तुलना करी शकाय. भाषाकीय दृष्टिए आ ग्रन्थ ९ थी १४मा सैका वच्चेनो मने लागे छे.
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