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________________ [56] सकलत्तो संचलिओ, सहपरिवारेण सारेण ॥ ५१७ निय-नयर-पियर-दसण-उत्कंठिय-नियय-हियय-साणंदो । ललिअंग- नरवरिंदो, पत्तो सिरिवास-पुर-तीरं ।। ५१८||युग्मम्।। पद्धडी जव पत्त नयर-परिसरि नरेस । उल्लसिय चित्ति पुर-जण असेस । वद्धावइ के-वि नरराय-वीर तसु दिअइ कणय-केकाण चीर ॥ ५१९ जिम सरइ सुरहि निय-वच्छ-नेह । पंथिय जिम पावस-समयि गेह । जिम सरइ भसल पच्चय(?) जाइ जिम सरई डिभ खह-खिण्ण माइ || ५२० जिम सरइ सरोवर राजहंस जिम सरइ पुरिसवर निय सुवंस । कुलवंति जेम समरइ भतार जिम सरइ साहु संसार-पार ॥ ५२१ जिम सरइ विंझ-वण वारणिंद जिम सरइ सुसायर पुण्ण-चंद । जिम सरइ चक्क पच्चूस-काल जिम सरइ सुकोइल तरु रसाल ॥ ५२२ तिम समरिय नरवइ पुत्त-पेम | जल-सिंचिय जल-तालेरि जेम । अविलंब अंब-पिय-पुज्ज-पाय लहु नमइ नेहि ललिअंग-राय ।। ५२३ तव हरसिय निय-मणि जणणितास चिर जीव पुत्त तउँ कोडि वास । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229285
Book TitleIsarsuri Virachit Lalitanga Charit apar nam Rasak Chudamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages61
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size788 KB
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