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अनुसन्धान ४५
श्रीबीबीपुरस्थित श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथ जिनालयनी प्रशस्ति : भूमिका
मुनिसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजय प्रशस्ति एटले चैत्यनिर्माणनी विगत-चैत्यप्रतिष्ठा करनार श्रावकना वंशनी-तेना कार्यनी प्रतिष्ठापक आचार्यनी माहिती-आपतो ऐतिहासिक दस्तावेज.
प्रस्तुत प्रशस्ति तपागच्छनी सागरशाखाना श्रीसौभाग्यना शिष्य सत्यसौभाग्य गणिओ सं. १६९७ मां रची छे. 'शान्तिदास शेठे आ जिनालयनी प्रतिष्ठा सं. १६८२ मां करी' तेवी नोंध जैन परम्परानो इतिहास, भाग-३, पृ. ७५७ पर छे. तो आ प्रशस्तिनी रचना ते वखते न थता १५ वर्षना आंतरे थई तेनुं शुं कारण हशे ? एवो सवाल सहज ऊठे छे.
अहीं चैत्यप्रशस्तिना परिचय साथे प्रशस्तिमां न होवा छतां शेठ शान्तिदास-आ. राजसागर सूरिजीनो-चिन्तामणिपार्श्वनाथनो विशेष परिचय अहीं संकलन करीने लख्यो छे.
बीबीपुर "सैयद सूर मीर बीन सैयद बडा बीन याकुबने 'बीबी' नामनी माता हती. तेनो रोजो मंगळदास शेठनी मीलनी पाछळ 'दादा हरि वाव'नी पासे छे. तेना नामथी 'बीबीपुर' वस्युं हतुं. ते असारवा अने सैयदपुर (सरसपुर) नी वच्चे हतुं. संभव छे के बीबीपुर-सीकंदरपुरनी साथे ज जोडायेल होय.'' [जैन. परं. इति. भाग-३, पृ. १९९]
अनुसन्धान २४ मां पू.सहजकीर्ति म. द्वारा रचायेल श्री १०८ पार्श्वनाथ स्तवन छपायुं छे. ते स्तवननी पहेली कडीमां 'इडरें अहमदाबाद आसाउलै बीबीपुर चिन्तामणी ए' पदथी बीबीपुर-चिन्तामणिपार्श्व० नो उल्लेख कर्यो छे. पू. उपा. श्रीभुवनचन्द्र म. टिप्पण करतां बीबीपुरने सरसपुर तरीके ज ओळखाव्युं छे.
तपा. शिवविजयजीना शिष्य शीलविजयजीओ सं. १६८२ मां रचेल
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