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अनुसन्धान ४६
मेघकुमार, मेतार्य जेवा (अवांतर) प्रसंगो कर्ताओ न लीधा ते स्वाभाविक छे, परंतु अभयकुमारनी बुद्धिप्रतिभाना द्योतक अन्य कथाप्रसंगो पण कर्ताओ समाविष्ट नथी कर्या ते नोंधवू जोई.
उपरोक्त महाकाव्य साथे प्रस्तुत कृतिने उपर-उपरथी मेळवता प्राप्त थयेल नोंध -
(१) अभयकुमारचरित्र महाकाव्यमां अभयकुमारनो जीव माताना गर्भमां आव्यो त्यारे माताए स्वप्नमां ४ दांतवाळो हाथी जोयो (सर्ग १ / श्लो. २८३३). प्रस्तुत कृतिमां आ नोंध नथी.
(२) महाकाव्यमा अन्तःपुरदहननी पोतानी आज्ञा पालन थयेलुं जाणी राजा श्रेणिक मूर्छित थाय छे. त्यारे अभय पिताने सत्य हकीकत जणावे छे. (४/५५-५९) प्रस्तुत कृतिमां आ प्रसंग जुदी रीते वर्णव्यो छे. (४/२८-३३)
(३) महाकाव्यमां अभयकुमार अष्टाह्निका महोत्सवपूर्वक पितानी आज्ञा लईने दीक्षा ग्रहण करे छे. (१२/२१-२४) प्रस्तुतकृतिमां पिता साथे थयेल करार(प्रतिज्ञा), खण्डन थता अभय स्वयं अनुमतिनी अपेक्षा वगर दीक्षा स्वीकारे छे (४/३१-३४). चन्द्रतिलक उपा. आवश्यक चूर्णिकारने अनुसर्या छे, ज्यारे शुभशीलगणि प्रस्तुतकृतिकारनी वातमा सहमत छे.
(४) अहीं, कर्ताओ करेल शियाळानी ऋतुनुं वर्णन (३/१५-१८), रात्रि-चन्द्रोदयतुं वर्णन (३/२५, १/१-४), सूर्यास्तवर्णन (३/२४), राजाने उठाडे छे ते प्रसंगे सूर्योदयतुं वर्णन (४/१४-१८). वगेरे, महाकाव्यनां तेवां वर्णनो करतां जुदां अने रसाळ छे.
(५) कर्ता प्रस्तुत कृतिमां - अनुष्टुप, इन्द्रवंशा, इन्द्रवज्रा, उपजाति, उपेन्द्रवज्रा, पृथ्वी, मन्दाक्रान्ता, रथोद्धता, वंशस्थ, वसन्ततिलका, शार्दूलविक्रीडित, शालिनी, स्रग्धरा वगेरे छन्द प्रयोज्या छे.
धर्मोपदेशमाळा - धर्मदासगणी कृत उपदेशमाळा जेवी ज ९८ श्लोक प्रमाण आ कृति कृष्णर्षिना शिष्य जयसिंहसूरिजीओ वि.सं. ९१५ पहेला रची हशे. कर्ता-तेमनो समय-अन्यकृतिओ-तेमनी शिष्य परम्परा वगेरेनी विशेष नोंध मळती नथी. प्रायः तेमना शिष्य जयकीर्तिसूरिजीए ११५ प्राकृत गाथामय 'शीलोपदेशमाळा' ग्रन्थ रच्यो छे.
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