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________________ गहरी और विस्तीर्ण खाइयाँ और परिखाएँ होती हैं। परमाधार्मिक देवों का सामान्य परिचय जो पूर्वजीवन में अज्ञान एवं संक्लिष्टपरिणाम पूर्वक क्रूरक्रियाएँ करते हुए पंचाग्नि तप, कायक्लेशादि तप सहन करते रहते हैं; ऐसे जीव अधिकतर मरणोपरांत भवनवासी असुरकुमार जाति में परमाधार्मिक देवों के रूप में जन्म लेते हैं। पापाचारी और क्रूर अध्यवसायी ये असुरजातीय परमाधार्मिक देवता तीसरी नरक तक नारकियों को नाना प्रकार के दुःख कष्ट देते हैं। जैसे यहाँ क्रूर, हिंसक मनुष्य भैंसे, साँढ, मुर्गे आदि को कष्ट पाते देखकर प्रसन्न होते हैं, तालियाँ बजाते हैं, वैसे ही परमाधार्मिक देवता नारकियों को दुःखी देख-देखकर बहुत प्रसन्न होते हैं, तालियाँ बजाते हैं, हर्ष अभिव्यक्त करते हैं। वाणव्यंतर देवों का सामान्य परिचय वाणव्यंतर देवता वनों, पर्वतों, गुफाओं, विविध प्रकार के भवनों, नगरों एवं आवासों में रहते हैं। तिर्यक्मध्यलोक में भी व्यंतर देवों के नगर हैं। व्यंतर देवों के आवास तीनों लोकों में हैं। बहुत से व्यंतर देवता चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेवादि के सेवक बनकर सेवा करते रहते है। ये वाणव्यंतर देवता पिशाच, भूत, यक्ष, किन्नर, किंपुरुषादि के भेद से आठ प्रकार के होते है। ये देवता मनुष्य क्षेत्रों में इधर उधर घूमते रहते हैं। टूटे, फूटे घरों, जंगलों, वृक्षों एवं शून्य स्थानों में रहते हैं। गंधर्वदेवों के भेद जो वाणव्यंतर देवता तरह-तरह की राग-रागिणियों के जानकार होते हैं; लगभग गीत-गान में ही मस्त रहते हैं वे गंधर्व देव कहलाते हैं। इनका चित्त बहुत ही चंचल होता है। ये विनोदी प्रकृति के होते हैं। इन्हें हंसी, खेल आदि में विशेष रुचि रहती है। सुंदर-सुंदर आभूषण एवं विशेषतः पुष्पों के आभूषणों को पहन कर वनविहारादि करना; हंसी-मजाक करना; इन्हें अधिक रुचता है। ये अपनी इच्छुसार कामभोगों का सेवन करते हैं। गंधर्व देवों के आणपण्णे, पाणपण्णे, इसिवाई, भूयवाई आदि आठ भेद हैं। तिर्यग्नुंभक देवों का संक्षिप्त स्वरूप तिर्यग्-मध्यलोक में रहने वाले जृम्भक-स्वेच्छानुसार प्रवृत्ति करने वाले और * मृत्यु यानि प्रभु को जीवन का हिसाब देने का पवित्र दिन।
SR No.229256
Book TitleChitra Vichitra Jiva Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaysagar
PublisherZ_Aradhana_Ganga_009725.pdf
Publication Year2012
Total Pages25
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size199 KB
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