________________ लोग-विरुद्ध-च्चाओ गुरु-जण-पूआ परत्थ-करणं च. सुह-गुरु-जोगो तव्वयण-सेवणा आ-भवमखंडा 2. (योग मुद्रा में) वारिज्जइ जइ वि नियाण-बंधणं वीयराय! तुह समये. तह वि मम हुज्ज सेवा, भवे भवे तुम्ह चलणाणं 3. दुक्ख-क्खओ कम्म-क्खओ, समाहि-मरणं च बोहि-लाभो अ. संपज्जउ मह एअं, तुह नाह! पणाम-करणेणं 4. सर्व-मंगल-मांगल्यं, सर्व-कल्याण-कारणम्. प्रधानं सर्व-धर्माणां, जैनं जयति शासनम् 5. (फिर खड़े होकर) अरिहंत चेइयाणं अरिहंत-चेइयाणं, करेमि काउस्सग्गं, वंदण-वत्तिआए, पूअण-वत्तिआए, सक्कारवत्तिआए, सम्माण-वत्तिआए, बोहि-लाभ-वत्तिआए, निरुवसग्ग-वत्तिआए, सद्धाए, मेहाए, धिईए, धारणाए, अणुप्पेहाए वड्ढमाणीए, ठामि काउस्सग्गं. अन्नत्थ सूत्र अन्नत्थ-ऊससिएणं, नीससिएणं, खासिएणं, छीएणं, जंभाइएणं, उड्डुएणं, वायनिसग्गेणं, भमलीए, पित्त-मुच्छाए 1. सुहुमेहिं अंग-संचालेहि, सुहुमेहं खेलसंचालेहिं, सुहुमेहिं दिट्ठि-संचालेहिं 2. एवमाइएहिं आगारेहिं, अ-भग्गो अविराहिओ, हुज्ज मे काउस्सग्गो 3. जाव अरिहंताणं भगवंताणं, नमुक्कारेणं न पारेमि 4. ताव कायं ठाणेणं मोणेणं झाणेणं, अप्पाणं वोसिरामि 5. फिर एक नवकार का कायोत्सर्ग कर, पार कर 'नमोऽर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यः' कह कर थोय कहें। थोय शंखेश्वर पासजी पूजिए, नरभवनो लाहो लीजिए; मनवांछित पूरण सुरतरु, जय वामासुत अलवेसरूं. जीवन में दृढ़ बनना, जड़ नहीं.