________________ युद्धे जयं विजित-दुर्जय-जेय-पक्षास्त्वत्पाद-पंकज-वनाश्रयिणो लभन्ते |43| अम्भोनिधौक्षुभित-भीषण-नक्र-चक्रपाठीन-पीठ-भय-दोल्वण-वाडवाग्नौ रंगतरंग-शिखर-स्थित-यान-पात्रास्वासं विहाय भवतः स्मरणाद् व्रजन्ति |44| उद् भूत-भीषण-जलोदर-भार-भुग्नाः शोच्यां दशामुपगताच्युत-जीविताशाः त्वत्पाद-पंकज-रजोऽमृत-दिग्ध-देहा आपाद-कण्ठमुरु-श्रंखल-वेष्टितागंगा गाढं बृहन्निगड-कोटि-निधृष्ट-जंगघाः। त्वन्नाम-मन्त्रमनिशं मनुजाः स्मरन्तः सद्यः स्वयं विगत-बन्ध-भया भवन्ति|46| मत्तद्विपेन्द्र-मगराज-दवानलाहिसंग्राम वारिधि-मनोदर-बन्धनोत्थम्। तस्याशु नाशमुपयाति भयं भियेव यस्तावकं स्तवमिमं मतिमानधीते|47| स्तोत्रस्रजं तव जिनेन्द्र गुणैर्निबद्धां भक्त्या मया रुचिर-वर्ण-विचित्र-पुष्पाम् धत्ते जनो य इह कण्ठ-गतामजसं तं 'मानतुंगमवशा' समुपैति लक्ष्मीः / 48| इति श्री मानतुंगाचार्य विरचित आदिनाथ स्तोत्रं समाप्तम् Freely Download Now Rare Preaching's by Various Monks like Acharya Shantisagar ji, Acharya Vidyasagar Ji, Sudhasagar ji, Kshamasagar Ji, Dhyansagar Ji & So on: www.jinvaani.org Download Freely Treasures of Online Jainism Music Resource's Bhaktamar Stotra, Puja, Stavan, Stotra, Ravindra Jain's Spiritual MP3: www.wuistudio.com [still downloaded 10,000 Times within 9 months]